योगी आदित्यनाथ और पल्लवी पटेल की मुलाकात: उत्तर प्रदेश की सियासत में हलचल

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CM Yogi Adityanath
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उत्तर प्रदेश की राजनीति में इन दिनों हलचल मची हुई है, और यह हलचल सीएम योगी आदित्यनाथ की एक विशेष मुलाकात के बाद और भी तेज हो गई है। गुरुवार शाम को सीएम योगी ने समाजवादी पार्टी की विधायक और अपना दल कमेरावादी पार्टी की नेता पल्लवी पटेल से मुलाकात की। इस मुलाकात को शिष्टाचार बैठक के रूप में पेश किया गया है, लेकिन इसके कई सियासी मायने निकाले जा रहे हैं।

केशव प्रसाद मौर्य के खिलाफ संदेश

    लोकसभा चुनाव 2024 के बाद से उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के भीतर चल रही कथित कलह के दावों के केंद्र में उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य रहे हैं। सीएम योगी की पल्लवी पटेल से मुलाकात ने इस स्थिति को और भी गंभीर बना दिया है।

    पल्लवी पटेल, जिन्होंने 2022 के विधानसभा चुनाव में सिराथू से केशव मौर्य को हराया था, के साथ यह मुलाकात संकेत देती है कि बीजेपी के भीतर सियासी खेल अभी भी जारी है। यह बैठक यह संदेश देने की कोशिश करती है कि सीएम योगी भी केशव मौर्य के खिलाफ अपनी राजनीतिक चाल चल सकते हैं और इस तरह से उनकी शक्ति को चुनौती दे सकते हैं।

    अनुप्रिया पटेल पर संदेश

      अपना दल (सोनेलाल) की नेता और केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल ने लोकसभा चुनाव के बाद आरक्षण के मुद्दे पर योगी सरकार को घेरने की कोशिश की थी। सीएम योगी की पल्लवी पटेल से मुलाकात इस बात का संकेत हो सकती है कि वह अनुप्रिया पटेल के प्रति एक सख्त संदेश भेजना चाहते हैं।

      पल्लवी और अनुप्रिया पटेल बहनें हैं, लेकिन सियासत की वजह से उनके रास्ते अलग हो गए हैं। सीएम योगी की इस मुलाकात से यह भी दिखता है कि योगी सरकार ने अनुप्रिया पटेल के खेमे को सियासत की नई संभावनाओं के संकेत देने का प्रयास किया है।

      अखिलेश यादव के खिलाफ चाल

        पल्लवी पटेल, जिन्होंने समाजवादी पार्टी के टिकट पर सिराथू से चुनाव लड़ा था, अब बीजेपी के समर्थन में आ सकती हैं। इससे सपा प्रमुख अखिलेश यादव की परेशानियों में इजाफा हो सकता है। सपा की कोशिश है कि आगामी उपचुनावों में वह बीजेपी के खिलाफ बेहतर प्रदर्शन करें, खासकर फूलपुर में, जो अब बीजेपी का गढ़ बन चुका है।

        सीएम योगी की पल्लवी पटेल से मुलाकात से यह भी संकेत मिलते हैं कि सपा के लिए फूलपुर जीतना और भी मुश्किल हो सकता है। पल्लवी की नाराजगी और उनके बीजेपी के समर्थन में जाने से सपा के उपचुनाव के रणनीतिक लक्ष्य प्रभावित हो सकते हैं।

        अब देखना यह होगा कि इन घटनाक्रमों पर सियासी नेताओं की क्या प्रतिक्रियाएं होती हैं। पल्लवी पटेल, अखिलेश यादव, अनुप्रिया पटेल, आशीष पटेल और केशव प्रसाद मौर्य की प्रतिक्रियाओं के आधार पर उत्तर प्रदेश की सियासत में नई जटिलताएं और समीकरण उभर सकते हैं। इस बैठक के प्रभावों का विश्लेषण आगामी दिनों में सियासी समीकरणों पर गहरा असर डाल सकता है।