‘मैं अब और जीना नहीं चाहता…’ सदन में क्यों भावुक हुए मल्लिकार्जुन खड़गे?

Published

नई दिल्ली: राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने बुधवार को सदन की कार्यवाही शुरू होते ही एक दिन पहले घनश्याम तिवाड़ी द्वारा लगाए गए परिवारवाद के आरोप का मुद्दा उठाया। खड़गे ने स्पष्ट किया कि उनका राजनीति में पहला पीढ़ी का अनुभव है और उनके माता-पिता राजनीति में नहीं थे।

खड़गे ने अपने शुरुआती दिनों को याद करते हुए कहा कि उनके पिता के आशीर्वाद से वे आज इस मुकाम पर पहुंचे हैं। उन्होंने मजाक में कहा कि “अब तो उमर 95 साल, सॉरी 85 गुजर गया।” इस पर सभापति जगदीप धनखड़ ने कहा कि ये गलती से नहीं निकला है। मैं प्रार्थना करूंगा कि आपकी उम्र 95 साल से भी और ज्यादा हो… सभापति की इस बात पर विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि ‘नहीं, ऐसे माहौल में और नहीं जीना चाहता..’

इसके बाद खड़गे ने घनश्याम तिवाड़ी के परिवारवाद संबंधी टिप्पणी की कड़ी आलोचना की और इसे कार्यवाही से निकालने की मांग की। इस पर सभापति ने कहा कि वे इस मुद्दे को गंभीरता से देखेंगे।

इसके अलावा, प्रश्नकाल के दौरान नीट और एनटीए को लेकर एक सवाल पर शिवसेना सांसद प्रियंका चतुर्वेदी और शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान के बीच चर्चा हुई। जब समाजवादी पार्टी के सांसद रामजी लाल सुमन ने संघ का जिक्र किया, तो सभापति धनखड़ ने उन्हें टोका। इस पर खड़गे ने आरोप लगाया कि सत्तापक्ष सभापति का दुरुपयोग कर रहा है।