आखिर कौन हैं वो 3 छात्र जिन्होंने शेख हसीना की सत्ता की कुर्सी हिला दी ! जानें इनके बारें में

Published

Bangladesh Violence: बांग्लादेश में इस वक्त आरक्षण की आग से देश की पूरी सियासत ही बदल गई है, छात्रों के बढ़ते विरोध प्रदर्शन के कारण प्रधानमंत्री शेख हसीना ने अपने पद से सोमवार को इस्तीफा दे दिया और देश छोड़ दिया है। आपको बता दें कि शेख हसीना इसी साल जनवरी में हुए चुनाव में जीतकर लगातार चौथी बार देश की प्रधानमंत्री बनी थीं । प्रधानमंत्री बनने के कुछ समय के बाद बांग्लादेश में 1971 के मुक्ति संग्राम में शामिल लोगों के परिजनों के लिए सरकारी नौकरी में 30 प्रतिशत आरक्षण देने की घोषणा की और फिर इसके खिलाफ छात्रों ने पूरे देश में हसीना सरकार का विरोध शुरू कर दिया।

आखिर कौन है वो तीन छात्र जिन्होंने गिरा दी हसीना की कुर्सी

नाहिद इस्लाम: बांग्लादेश के जिन तीन छात्रों का नाम इसमें सबसे ज्यादा आ रहा है वो नाहिद इस्लाम है जो छात्र आंदोलन का सबसे बड़ा चेहरा है। बता दें कि नाहिद के ही नेतृत्व में बांग्लादेश के युवाओं ने शेख हसीना सरकार के खिलाफ जमकर प्रदर्शन किया। नाहिद, ढाका यूनिवर्सिटी का स्टूडेंट है और नाहिद ने हसीना के प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देने के एक दिन पहले कहा था “आज हमने लाठी उठाई है, अगर लाठी काम नहीं आई तो हम हथियार उठाने के लिए भी तैयार हैं।

आसिफ महमूद: वहीं दूसरा छात्र आसिफ महमूद ढाका यूनिवर्सिटी में लैंग्वेज स्टडीज का छात्र हैऔर वह जून में आरक्षण के खिलाफ शुरू हुए देशव्यापी आंदोलन का हिस्सा बना था । 1 अगस्त को छात्रों की गिरफ्तारी के विरोध में हुए प्रदर्शन के बाद उन्हें हिरासत से छोड़ दिया गया। 3 अगस्त को आसिफ ने फेसबुक पर पोस्ट करते हुए छात्रों से घर पर न रहने और नजदीकी प्रदर्शनों में शामिल होने की अपील की।

अबु बकेर मजूमदार: शेख हसीना को सत्ता से बेदखल करने में अबू बकेर मजूमदार भी है। वह ढाका यूनिवर्सिटी में भूगोल यानी जियोग्राफी डिपार्टमेंट का स्टूडेंट है। द फ्रंट लाइन डिफेंडर के मुताबिक वह सिविल राइट्स और ह्यूमैन राइट्स को लेकर भी काम करता है। अबु बकेर मजूमदार के आह्वान पर आंदोलन देशव्यापी हो गया था।

5 जून को हाईकोर्ट के आरक्षण पर दिए फैसले के बाद बकर ने अपने दोस्तों के साथ मिलकर स्टूडेंट्स अगेंस्ट डिस्क्रिमिनेशन मूवमेंट की शुरुआत की। उसने “स्वतंत्रता सेनानियों” के रिश्तेदारों को सरकारी नौकरी में आरक्षण दिए जाने का जमकर विरोध किया।

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *