Paris Olympics 2024: बचपन से जारी है… अमन सहरावत की कुश्ती… 11 की उम्र में हो गए थे अनाथ… अब लाएंगे भारत के लिए मेडल!

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Paris Olympics 2024: पेरिस ओलंपिक 2024 में भारत के लिए एक और बड़ी खुशखबरी है। झज्जर, हरियाणा के युवा पहलवान अमन सहरावत ने 57 किलोग्राम वर्ग के क्वार्टरफाइनल में अल्बानिया के जेलिमखान एबकारोव को 12-0 के बड़े अंतर से हराते हुए सेमीफाइनल में अपनी जगह पक्की कर ली है। इस शानदार प्रदर्शन के बाद भारतीय प्रशंसकों में पदक की उम्मीदें बढ़ गई हैं। इसके बाद अब अमन का सेमीफाइनल मुकाबला आज (8 अगस्त) रात 9:45 बजे जापान के री हिगुची के साथ होगा।

माता-पिता को समर्पित करना चाहते हैं जीत

पेरिस ओलंपिक 2024 में पदक की ओर बढ़ता, भारत का ये पहलवान हरियाणा के झज्जर जिले से है, लेकिन उसकी लड़ाई जन्म से ही जरी रही। क्योंकि अमन सहरावत ने छोटी उम्र में ही अपने माता-पिता को खो दिया था। 2013 में मां के निधन के कुछ ही महीनों बाद उनके पिता का भी देहांत हो गया था। लेकिन इसके बावजूद, अमन ने हार नहीं मानी और अपने ताऊ व दादा के संरक्षण में अपने खेल पर ध्यान केंद्रित किया। अमन के ताऊ सुधीर का कहना है, “अमन इस बार ओलंपिक में पदक जीतकर अपने माता-पिता को श्रद्धांजलि देना चाहता है।”

कौन हैं अमन सहरावत?

अमन सहरावत हरियाणा के झज्जर जिले के एक युवा फ्रीस्टाइल पहलवान हैं। उनका जन्म 16 जुलाई 2003 को हुआ था। अमन ने 2022 एशियाई खेलों में 57 किलोग्राम वर्ग में कांस्य पदक और 2023 में कजाकिस्तान के अस्ताना में एशियाई कुश्ती चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीता है। 11 साल की उम्र में अपने माता-पिता को खोने के बाद, अमन ने न केवल खुद को संभाला, बल्कि अपनी छोटी बहन की भी जिम्मेदारी उठाई। उनका सफर संघर्ष और सफलता की मिसाल है।

किसान परिवार से निकले अमन का सफर

एक साधारण किसान परिवार में जन्मे अमन सहरावत ने 8 साल की उम्र में कुश्ती की ट्रेनिंग शुरू की थी। उनके माता-पिता ने उन्हें दिल्ली के छत्रसाल स्टेडियम भेजने का फैसला किया था, जहां उन्होंने अपने खेल का निखार किया। अमन के माता-पिता के निधन के बाद उनके ताऊ और चाचा ने उन्हें और उनकी छोटी बहन पूजा को संभाला। पूजा इस समय बीए फर्स्ट ईयर की छात्रा हैं।

अमन का खेल सफर

अमन सहरावत ने 2022 एशियाई खेलों में 57 किलोग्राम वर्ग में कांस्य पदक जीता था और 2023 में कजाकिस्तान में आयोजित एशियाई कुश्ती चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल भी अपने नाम किया था। अब सभी की निगाहें उनके आगामी सेमीफाइनल मुकाबले पर हैं, जहां उनकी जीत भारत को एक और पदक दिला सकती है।