Manipur Viral Video: CJI डी.वाई. चंद्रचूड़ ने पूछा 3 मई के बाद कितनी FIR दर्ज की गई, जानिए SC में कपिल सिब्बल और तुषार मेहता के बीच क्या बहस हुई?

Published

नई दिल्ली: मणिपुर वायरल वीडियो मामला में 31 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान मणिपुर की 2 पीड़ित महिलाओं की ओर से पेश वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल का कहना है कि महिलाएं मामले की CBI जांच और मामले को असम स्थानांतरित करने के खिलाफ हैं।

इसपर सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता का कहना है कि हमने कभी भी मुकदमे को असम स्थानांतरित करने का अनुरोध नहीं किया। हमने कहा है कि इस मामले को मणिपुर से बाहर स्थानांतरित किया जाए।

सुनवाई के दौरान क्या हुआ?

  • CJI डी.वाई. चंद्रचूड़ ने AG से पूछा कि 3 मई के बाद से जब मणिपुर में हिंसा शुरू हुई थी, ऐसी कितनी एफआईआर दर्ज़ की गई हैं।
  • सीजेआई डी.वाई. चंद्रचूड़ का कहना है कि यह वीडियो सामने आया, लेकिन यह एकमात्र घटना नहीं है जहां महिलाओं के साथ मारपीट या उत्पीड़न किया गया है। यह कोई अकेली घटना नहीं है। हमें महिलाओं के खिलाफ हिंसा के व्यापक मुद्दे को देखने के लिए एक तंत्र भी बनाना होगा।
  • मणिपुर मामले की सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में जांच को तैयार केंद्र सरकार. सुप्रीम कोर्ट में बड़ा बयान- SG तुषार मेहता ने कहा कि केंद्र को सुप्रीम कोर्ट मॉनिटरिंग पर कोई आपत्ति नहीं. सुप्रीम कोर्ट निगरानी करेगा तो पारदर्शिता दिखेगी
  • याचिकाकर्ता के लिए इंदिरा जयसिंह- मामले में एक हाई पावर कमेटी बनाई जाए, इसमें सिविल सोसाइटी से जुड़ी महिलाएं भी हों, जिन्हें ऐसे मामलों का अनुभव हो
  • अटॉर्नी जनरल आर वेंकेटरमनी ने कहा, “मामले की सीबाआई जांच होने दें, मैं खुद जांच की मॉनिटरिंग करूंगा.
  • सीजेआई ने कहा, “जो वीडियो सामने आया, केवल महिलाओं के खिलाफ ये ही घटना नहीं हुई है, बाकी महिलाओं के साथ हुए अपराधों में क्या हुआ? हमें सब केसों में मैकेनिज्म हो जहां अन्य महिलाओं के साथ अपराध हुआ है.
  • CJI चंद्रचूड़ ने कहा- हमें किसी और वीडियो का इंतजार नहीं करना चाहिए. केंद्र द्वारा दायर हलफनामे से पता चलता है कि यौन उत्पीड़न के कई अन्य मामले हैं. हमें अन्य महिलाओं के खिलाफ हिंसा से निपटने के लिए भी एक तंत्र स्थापित करना होगा. केवल इन तीन महिलाओं नहीं, बल्कि अपराध पीड़ित हर महिला के लिए तंत्र हो.
  • कपिल सिब्बल ने कहा- बयानों से पता चलता है कि पुलिस ही दोनों को प्रदर्शनकारियों के पास ले गई, उनको भीड़ के पास छोड़ दिया. एक महिला के पिता, भाई को मार डाला गया. अभी भी शव नहीं मिले हैं. 18 मई को जीरो एफआईआर दर्ज की गई. जब इस कोर्ट ने संज्ञान लिया, तब कुछ हुआ. तो फिर हमें कैसे भरोसा हो?
  • SG तुषार मेहता ने कोर्ट में कहा- सुप्रीम कोर्ट इस केस को मॉनिटर कर सकता है, तो हमें इस पर कोई आपत्ति नहीं.
  • सीजेआई ने कहा- हम फिलहाल जांच पर रोक नहीं लगा सकते, क्योंकि हिंसा करने वालों को गिरफ्तार भी करना है.
  • इंदिरा जयसिंह ने कोर्ट को बताया कि केंद्र की स्टेटस रिपोर्ट के मुताबिक, 595 एफआईआर दर्ज की गई हैं. इनमें से कितने यौन हिंसा से संबंधित हैं, और कितने आगजनी, हत्या से संबंधित हैं ये नहीं पता. जांच तक पहुंचने से पहले, इस अदालत के पास डेटा होना चाहिए. जहां तक कानून का सवाल है, बलात्कार की पीड़िताएं इसके बारे में बात नहीं करतीं, वे अपने आघात के चलते सामने नहीं आती. पहली बात है आत्मविश्वास पैदा करना. एक उच्च शक्ति समिति होनी चाहिए. पीड़ितों को बाहर आने का आत्मविश्वास होना चाहिए. स्थानीय समुदायों तक पहुंच होनी चाहिए.