नई दिल्ली/डेस्क: ईरान में पिछले साल ठीक से हिजाब न पहनने के चलते मॉरल पुलिस ने महसा अमीनी नाम की महिला को गिरफ्तार कर लिया था, इसके बाद देश में बड़े स्तर पर हिजाब प्रदर्शन शुरू हुआ, 16 सितंबर को महसा की मौत को एक साल हो जाएगा, इस मौके पर ईरान की सरकार हिजाब को लेकर और सख्त नियम बनाने की तैयारी में है.
CNN के मुताबिक, नए विधेयक में हिजाब न पहनने वालों की सजा को अधिकतम 2 महीने से बढ़ाकर 10 साल कर दिया जाएगा, इसके अलावा हिजाब न पहनने वाली महिलाओं को ट्रैक करने के लिए AI की मदद भी ली जाएगी, वहीं फिलहाल अधिकतम जुर्माना 1 हजार रुपए है, जिसे 70 हजार करने की तैयारी है.
ईरान में हिजाब लंबे समय से विवाद का मुद्दा रहा है, 1936 में नेता रेजा शाह के शासन में महिलाएं आजाद थीं, शाह के उत्तराधिकारियों ने भी महिलाओं को आजाद रखा लेकिन 1979 की इस्लाम क्रांति में आखिरी शाह को उखाड़ फेंकने के बाद 1983 में हिजाब जरूरी हो गया.
ईरान पारंपरिक रूप से अपने इस्लामी दंड संहिता के अनुच्छेद 368 को हिजाब कानून मानता है. इसके मुताबिक ड्रेस कोड का उल्लंघन करने वालों को 10 दिन से दो महीने तक की जेल या 50 हजार से 5 लाख ईरानी रियाल के बीच जुर्माना हो सकता है.
ईरान में पिछले साल हिजाब के खिलाफ शुरू हुआ प्रदर्शन देश में 1979 की इस्लामिक क्रांति के बाद सबसे लंबे समय तक चलने वाला प्रदर्शन बन गया, इससे पहले बीते 5 साल में दो बार और प्रदर्शन हो चुका है, लेकिन उसे दबा दिया गया था. 2017 के आखिर में शुरू हुआ प्रदर्शन 2018 की शुरुआत तक चला था, जबकि नवंबर 2019 में महिलाओं ने आजादी, जिंदगी अपनी मर्जी से जीने की मांग को लेकर देशभर में प्रदर्शन किए थे, प्रदर्शनों को कुछ सेलिब्रिटीज ने समर्थन दिया था.
लेखक: इमरान अंसारी