Rashtriya Swayamsevak Sangh: गांव, बस्ती, परिवार तक अच्छे आचरण का संदेश लेकर जाना है: डॉ मोहन भागवत

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Rashtriya Swayamsevak Sangh: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ बारां नगर का स्वयंसेवक एकत्रीकरण शनिवार सायं कृषि उपज मंडी में आयोजित हुआ। प्रवास के तीसरे दिन संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने स्वयंसेवकों को संबोधित किया। डॉ. मोहन भागवत ने कहा कि स्वयंसेवक का बस्ती में सर्वत्र संपर्क हो। समाज को संबल देकर बस्ती के अभावो को दूर करने का प्रयास करना चाहिए।

समाज में सामाजिक समरसता, सामाजिक न्याय, सामाजिक आरोग्य, शिक्षा, स्वास्थ्य, स्वावलंबन के लिए आग्रह रहना चाहिए। स्वयंसेवक गतिविधि कार्य में भी सक्रिय रहे। समाज की छोटी इकाई परिवार में समरसता-सद्भावना, पर्यावरण, कुटुम्ब प्रबोधन, स्वदेशी एवं नागरिक बोध को सहज बना सकते है। जीवन में छोटी-छोटी बातों को आचरण में लाने से समाज एवं राष्ट्र की उन्नति में बड़ा योगदान दिया जा सकता है।

हिंदू समाज को अपनी सुरक्षा के लिए भाषा, जाति, प्रांत के भेद व विवाद मिटाकर संगठित होना होगा

उन्होंने कहा कि हिंदू समाज को अपनी सुरक्षा के लिए भाषा, जाति, प्रांत के भेद व विवाद मिटाकर संगठित होना होगा। समाज ऐसा हो जहां संगठन, सद्भावना एवं आत्मीयता का व्यवहार हो। समाज में आचरण का अनुशासन, राज्य के प्रति कर्तव्य एवं ध्येयनिष्ठ होने का गुण आवश्यक है। मैं व मेरा परिवार मात्र से समाज नहीं बनता, बल्कि हमें समाज की सर्वांगीण चिंता से अपने जीवन में भगवान को प्राप्त करना है।

उन्होने कहा कि संघ कार्य यंत्रवत नहीं, बल्कि विचार आधारित है। संघ कार्य की तुलना योग्य कार्य विश्व में नहीं है। उपमा के तौर पर सागर सागर जैसा है, गगन गगन जैसा है, वैसा ही संघ भी संघ जैसा ही है। संघ की किसी से तुलना नहीं हो सकती। संघ से संस्कार गटनायक में जाते है, गटनायक से स्वयंसेवक और स्वयंसेवक से परिवार तक जाते है। परिवार से मिलकर समाज बनता है। संघ में व्यक्ति निर्माण की यही पद्धति है।

विश्व में भारत की प्रतिष्ठा अपने देश के सफल होने से…

डॉ. मोहन भागवत ने कहा कि विश्व में भारत की प्रतिष्ठा अपने देश के सफल होने से है। सबल राष्ट्र के प्रवासियों की सुरक्षा भी तब ही जब उनका राष्ट्र सबल है। वरना निर्बल राष्ट्र के प्रवासियों को देश छोड़ने के आदेश दे दिये जाते है। भारत का बड़ा होना प्रत्येक नागरिक के लिए भी उतना ही आवश्यक है।

उन्होंने कहा कि भारत हिन्दू राष्ट्र है। प्राचीन समय से हम यहां रहते आये है, भले हिन्दू नाम बाद में आया। यहां रहने वाले भारत के सभी पंथों के लिए हिन्दू प्रयोग हुआ। हिन्दू जो सबको अपना मानते है और सबको स्वीकार करते है। हिन्दू कहता है हम भी सही और तुम भी अपनी जगह सही। आपस में निरंतर संवाद करते हुए सद्भाव से रहे।

सभी स्वयंसेवकों ने सामूहिक सुभाषित, अमृत वचन और गीत उच्चारण किया

मंच पर सरसंघचालक डॉ. मोहन राव भागवत के साथ, राजस्थान क्षेत्र संघचालक डॉ रमेश अग्रवाल, चित्तौड़ प्रांत संघचालक जगदीश सिंह राणा, बारां विभाग संघचालक रमेश चंद मेहता और बारां जिला संघचालक वैद्य राधेश्याम गर्ग उपस्थित रहे। सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत के मंच पर आते ही ध्वजारोहण हुआ। सभी स्वयंसेवकों ने सामूहिक सुभाषित, अमृत वचन और गीत उच्चारण किया।

स्वयंसेवक (Rashtriya Swayamsevak Sangh) एकत्रीकरण कार्यक्रम में अखिल भारतीय सह प्रचारक प्रमुख अरुण जैन, अखिल भारतीय कार्यकारिणी सदस्य सुरेश चन्द्र, वरिष्ठ प्रचारक राजेन्द्र, क्षेत्र प्रचारक निम्बाराम, क्षेत्र कार्यवाह जसवंत खत्री, क्षेत्र सेवा प्रमुख शिव लहरी सहभागी रहे। विभाग कार्यवाह ने प्रतिवेदन रखा। नगर कार्यवाह ने मंचासीन अतिथियों का विस्तृत परिचय करवाया। सरसंघचालक डॉ मोहन भागवत के उद्बोधन के पूर्व नगर के स्वयंसेवक ने काव्य गीत “मैं जग में संघ बसाऊ” का गायन किया। उद्बोधन के पश्चात प्रार्थना हुई और शाखा विकिर हुई। नगर एकत्रीकरण में 3827 स्वयंसेवक उपस्थित रहे।

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