One Nation-One Election का जिन्होंने विरोध किया, वो शुरुआती वर्षों में इसका समर्थन कर रहे थे : पूर्व राष्ट्रपति

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One Nation-One Election का जिन्होंने ने विरोध किया, वो गणतंत्र के शुरुआती वर्षों में इसका समर्थन कर रहे थे : पूर्व राष्ट्रपति

नई दिल्ली। पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने कहा कि One Nation-One Election नीति के तहत एक साथ चुनाव भारत के संवैधानिक पूर्वजों की दृष्टि थी और यह गणतंत्र के शुरुआती वर्षों के दौरान आदर्श था। शनिवार को 30वें लाल बहादुर शास्त्री स्मारक व्याख्यान में “एक साथ चुनाव” पर बोलते हुए कोविंद ने कहा कि देश के पहले चार चुनावी चक्रों के दौरान, लोकसभा और राज्य विधानसभा चुनाव एक साथ होते थे। लेकिन बाद में वर्ष 1968 में तोड़ दिया गया था।

गणतंत्र के शुरुआती वर्षों में एक साथ होते हैं चुनाव

पूर्व राष्ट्रपति ने कहा कि गणतंत्र के शुरुआती वर्षों में एक साथ चुनाव आदर्श थे। पहले चार चुनावी चक्रों के दौरान लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ होते थे। लेकिन एक साथ चुनावों का यह चक्र वर्ष 1968 में तब टूट गया जब तत्कालीन केंद्र सरकार ने अनुच्छेद 356 के तहत अपनी शक्ति का प्रयोग करते हुए कई राज्य विधानसभाओं को समय से पहले भंग कर दिया।

One Nation-One Election प्रस्ताव को 47 दलों का समर्थन

पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने कहा कि नीति की परामर्श प्रक्रिया के दौरान 15 दलों ने इस विचार का समर्थन नहीं किया, जिनमें से कई ऐसे थे जिन्होंने अतीत में एक साथ चुनावों की अवधारणा का समर्थन किया था। हमारी परामर्श प्रक्रिया के दौरान 47 राजनीतिक दलों ने समिति के समक्ष अपने विचार प्रस्तुत किए।

18 सितंबर को केंद्रीय कैबिनेट की मंजूरी

ज्ञात हो कि 18 सितंबर को केंद्रीय कैबिनेट ने One Nation-One Election प्रस्ताव को मंजूरी दी। इसके तहत एक साथ लोकसभा और विधानसभा चुनाव तथा शहरी निकाय और पंचायत चुनाव 100 दिनों के भीतर कराने का प्रस्ताव है। पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली एक पैनल समिति की रिपोर्ट में ये सिफारिशें की गई थीं।

-गौतम कुमार