भारत-चीन सीमा विवाद पर राजनाथ सिंह ने तोड़ी चुप्पी, स्टैंड ऑफ को लेकर जानें क्या बोले

Published
India China Border Dispute
India China Border Dispute

India-China border dispute: भारत और चीन के बीच चल रहे सीमा विवाद पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने अपनी चुप्पी तोड़ी है और कहा है कि पूर्वी लद्दाख में हुए सैन्य टकराव का शांतिपूर्ण तरीके से समाधान निकालने के लिए भारत-चीन के बीच बातचीत जारी है. भारत इस कूटनीतिक-सैन्य वार्ता को लेकर आशावादी जरूर है लेकिन उसने अपनी सतर्कता में कोई ढील नहीं दी है.

चीन पर 50 हजार सैनिकों को हटाने का दबाव बना रहा है भारत

इस दौरान राजनाथ सिंह ने दावा किया है कि बॉर्डर पर हालात खराब होने पर अचानक पैदा हुई स्थिति से निपटने में हमारी सेना पूरी तरह सक्षम है. राजनाथ सिंह ने गंगटोक में सेना कमांडरों के सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि चीन के साथ वार्ता के बारे में “हमारा आशावाद” पूर्वी लद्दाख में सैन्य वापसी के मामले में धरातल पर की जा रही असल कार्रवाई पर निर्भर है.

भारत India-China border dispute को लेकर चीन पर दबाव बना रहा है कि वह पहले देपसांग और डेमचोक में टकराव वाले दो स्थानों पर सैनिकों को हटाए, उसके बाद तनाव कम करे और फिर वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर अग्रिम मोर्चे पर तैनात अपने 50,000 सैनिकों को हटाए.

बॉर्डर पर 90 हजार सैनिक तैनात कर भारत ने दिया कड़ा संदेश

रक्षा मंत्री का यह बयान चीन की दोहरी बात करने की पुरानी आदत (जब से अप्रैल-मई 2020 में पीपुल्स लिबरेशन आर्मी ने पूर्वी लद्दाख में कई बार घुसपैठ की है) को देखते हुए आया है, जिसमें अक्सर वह जो कहता है और जो वह जमीन पर करता है, उसके बीच बहुत बड़ा अंतर होता है.

सिंह को गंगटोक में जनरल उपेंद्र द्विवेदी की अध्यक्षता में सेना कमांडरों के सम्मेलन में भाग लेना था, लेकिन खराब मौसम के कारण उन्होंने दार्जिलिंग के सुकना से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए इसे संबोधित किया. चीन सीमा के निकट पहली बार आयोजित किया जा रहा यह सम्मेलन अपने आप में चीन के लिए एक संदेश है, जिसने एलएसी के पूर्वी क्षेत्र (सिक्किम, अरुणाचल) में भी 90,000 सैनिकों को तैनात करके अपनी स्थिति मजबूत कर ली है.

चीन पर विश्वास करना हुआ मुश्किल

जनरल द्विवेदी ने खुद इस महीने की शुरुआत में चेतावनी देते हुए कहा था कि चीन पर विश्वास करना ही हमारे लिए सबसे बड़ी परेशानी बन गया है, क्योंकि एलएसी पर स्थिति स्थिर जरूर है लेकिन संवेदनशील और असामान्य है. उन्होंने कहा कि पिछले दो महीनों में राजनीतिक-कूटनीतिक बैठकों की झड़ी से “पॉजिटिव संकेत” मिले हैं, लेकिन किसी भी योजना का जमीनी स्तर पर लागू करना उनके सैन्य कमांडरों पर निर्भर करेगा.

नतीजतन, सेना पूर्वी लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश-सिक्किम के दुर्गम इलाकों में लगातार पांचवीं सर्दियों के लिए अपने सैनिकों को अग्रिम स्थानों पर बनाए रखेगी, वहीं सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) भी चीन के साथ सीमा पर बुनियादी ढांचे के विशाल अंतर को कम करने के लिए कड़ी मेहनत कर रहा है.

विजयादशमी पर 2236 करोड़ की परियोजनाओं का उद्घाटन करेंगे रक्षा मंत्री

सिक्किम में शनिवार को एक समारोह में सिंह बीआरओ द्वारा 2,236 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित 22 सड़कों, 51 पुलों और दो अन्य परियोजनाओं का उद्घाटन करेंगे. इन परियोजनाओं में 19 जम्मू-कश्मीर में, 18 अरुणाचल प्रदेश में, 11 लद्दाख में, 9 उत्तराखंड में और 6 सिक्किम में हैं. सिंह ने शुक्रवार को यह भी कहा कि सशस्त्र बलों को “विषम युद्ध” के लिए तैयार रहना चाहिए, जो मौजूदा समय में मुश्किल और अनक्लियर ग्लोबल सिचुएशन में चल रहे संघर्षों के कारण सामने आया है.

सिंह ने कहा, “हाइब्रिड युद्ध सहित अपरंपरागत और विषम युद्ध भविष्य के पारंपरिक युद्धों का हिस्सा होंगे. इसके लिए जरूरी है कि सशस्त्र बलों को रणनीति तैयार करते समय इन सभी पहलुओं को ध्यान में रखना चाहिए. सतर्क रहें, नियमित रूप से आधुनिकीकरण करें और कई तरह की अनिश्चितताओं के लिए लगातार तैयारी करें.”

यह भी पढ़ें: तय हो गई नायब सिंह सैनी की शपथ लेने की तारीख, जानें कब होगी Oath Ceremony?