CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने भूटान में न्यायपालिका की भूमिका पर की महत्वपूर्ण टिप्पणी; जानें क्या बोले…

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भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ (Chief Justice DY Chandrachud) ने हाल ही में भूटान में जिग्मे सिंग्ये वांगचुक व्याख्यान में न्यायाधीशों के बारे में “अनिर्वाचित और गैर-जवाबदेह” की आलोचना का जवाब दिया. उन्होंने कहा कि न्यायाधीशों का संविधान के अनुसार निष्पक्ष न्याय और नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करना आवश्यक है, भले ही वे निर्वाचित नहीं हों या सीधे जनता के प्रति जिम्मेदार नहीं हों जैसे राजनेता होते हैं।

सीजेआई ने कहा कि न्यायपालिका की विश्वसनीयता और विश्वास के लिए जनता का विश्वास अत्यंत महत्वपूर्ण है. उन्होंने न्यायाधीशों और राजनेताओं की भूमिका में अंतर बताते हुए कहा कि, जनता का विश्वास न्यायपालिका पर अलग तरह से लागू होता है.

मुख्य न्यायाधीश की टिप्पणी UPA सरकार द्वारा 2G स्पेक्ट्रम और कोयला ब्लॉक के आवंटन को रद्द करने और NDA सरकार द्वारा स्थापित राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (NJAC) को खारिज करने के लिए शीर्ष अदालत की आलोचना के संदर्भ में आई थी.

CJI ने द्विपक्षीय न्यायिक सहयोग को मजबूत करने पर जोर दिया

अपनी भूटान यात्रा के दौरान, सीजेआई ने अपने समकक्ष ल्योनपो चोग्याल डागो रिग्जिन (Lyonpo Chogyal Dago Riggin) से मुलाकात की और भारत और भूटान के बीच द्विपक्षीय न्यायिक सहयोग को मजबूत करने पर चर्चा की. दोनों मुख्य न्यायाधीशों ने भारत और भूटान के बीच न्यायिक और कानूनी सहयोग को बढ़ाने के लिए चार समझौता ज्ञापनों (MOU) पर हस्ताक्षर करने की अध्यक्षता की.

अपनी इस जवाबदेही में सीजेआई ने न्यायपालिका की स्वतंत्रता और निष्पक्षता को बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण टिप्पणी की. उन्होंने यह भी कहा कि न्यायाधीशों का संविधान के अनुसार निष्पक्ष न्याय और नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करना आवश्यक है.