भारत के खिलाफ कैसे साथ आए यूएस-कनाडा, साजिश या कोई बड़ी तैयारी?

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US, Canada Plot against India: पिछले एक हफ्ते के दौरान वाशिंगटन और ओटावा (US-CANADA) ने अपने भारतीय समकक्षों के साथ कई दौर की चर्चा की है, जिसमें उन्होंने अमेरिका और कनाडा में खालिस्तान समर्थक अलगाववादियों की हत्या और हत्या की साजिश में एक भारतीय सरकारी अधिकारी की संलिप्तता के बारे में “विश्वसनीय जानकारी” देने का दावा किया गया है.

भारत के खिलाफ एकजुट हुए अमेरिका-कनाडा

मीडिया में छपी रिपोर्ट के अनुसार इन मीटिंग्स के बारे में बात करते हुए एक टॉप आधिकारिक सूत्र ने बताया कि यह अमेरिकियों और कनाडाई (US-CANADA) दोनों की ओर से किया गया घात था.

कनाडाई वार्ताकारों ने नई दिल्ली को बताया कि भारतीय राजनयिक और अधिकारी कनाडा में खालिस्तान समर्थक तत्वों की पहचान और निगरानी में शामिल थे. वहीं भारतीय सरकारी अधिकारियों ने ऐसे दावों को खारिज कर दिया.

डोभाल की बैठक का भी किया था जिक्र

वाशिंगटन पोस्ट ने शनिवार को सिंगापुर में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के साथ ऐसी ही एक बैठक का विवरण दिया है, जिसमें कनाडाई एनएसए नैथली ड्रोइन, उप विदेश मंत्री डेविड मॉरिसन और आरसीएमपी के एक टॉप अधिकारी ने भारतीय पक्ष को ओटावा की चिंता और बेचैनी से अवगत कराया.

अमेरिका, गुरपतवंत सिंह पन्नू की हत्या की साजिश में शामिल लोगों की जांच के लिए भारत पर दबाव डाल रहा है, उसने दिल्ली को संभावित संबंधों के बारे में जानकारी दी है.

एक ही मौके पर बनी थी अमेरिका-कनाडा की जांच समितियां

वास्तव में, जांच समिति – जिसका गठन सरकार ने पिछले साल नवंबर में किया था, जब अमेरिका का अभियोग सार्वजनिक हुआ था और जिसकी संरचना को गुप्त रखा गया है – को इस सप्ताह अमेरिका में बुलाया गया था, ताकि अमेरिकी इनवेस्टिगेटर्स की ओर से एकत्र की गई कुछ जानकारी साझा की जा सके.

अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता ने एक असामान्य बयान में इसे सार्वजनिक किया: “एक भारतीय जांच समिति, जिसे कुछ संगठित अपराधियों की गतिविधियों की जांच के लिए स्थापित किया गया था, सक्रिय रूप से उस व्यक्ति की जांच कर रही है, जिसकी पहचान पिछले साल न्याय विभाग के अभियोग में एक भारतीय सरकारी कर्मचारी के रूप में की गई थी, जिसने न्यूयॉर्क शहर में एक अमेरिकी नागरिक की हत्या की नाकाम साजिश को अंजाम दिया था.”

कुछ ही घंटों में गायब हो गया अमेरिकी बयान

विदेश विभाग के प्रवक्ता ने कहा, “जांच समिति मामले पर चर्चा करने के लिए अपनी चल रही जांच के हिस्से के रूप में 15 अक्टूबर को वाशिंगटन, डी.सी. की यात्रा करेगी, जिसमें उन्हें प्राप्त जानकारी भी शामिल है, और अमेरिकी अधिकारियों से चल रहे मामले के बारे में अपडेट प्राप्त करेगी. इसके अतिरिक्त, भारत ने संयुक्त राज्य अमेरिका को सूचित किया है कि वे पूर्व सरकारी कर्मचारी के अन्य संबंधों की जांच करने के अपने प्रयास जारी रख रहे हैं और जरूरत के हिसाब से आगे के कदम सुनिश्चित करेंगे.”

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कुछ घंटों बाद, यह बयान अमेरिकी विदेश विभाग की वेबसाइट से गायब हो गया. सूत्रों ने कहा कि दोनों साजिशों के एक साथ आने और दो प्रशासनों के अधिकारियों के एक ही समय पर संपर्क करने से स्पष्ट संकेत मिलता है कि अमेरिका और कनाडा अपने स्टेप्स एक कॉम्बिनेशन में रख रहे थे.

कनाडा को दो टूक पर अमेरिकी आरोपों को गंभीरता से ले रहा भारत

गौरतलब है कि भारत ने ओटावा के आरोपों को “बेतुका” और “राजनीति से प्रेरित” बताते हुए खारिज कर दिया है, लेकिन उसने अमेरिकी आरोपों को गंभीरता से लिया है और उसकी प्रतिक्रिया बहुत अधिक सहयोगात्मक रही है.

भारत में भी यह समझ है कि अमेरिकी प्रशासन में जो ताजा बदलाव हुए हैं (जिसमें राष्ट्रपति जो बाइडेन से लेकर राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार कमला हैरिस तक) वो कनाडा और अमेरिका की धरती पर खालिस्तान समर्थक अलगाववादियों के खिलाफ कार्रवाई में कथित भारतीय भूमिका पर शिकंजा कसने का कारण बने हैं.

क्यों कनाडा का साथ दे रहा है अमेरिका

सीनियर अमेरिकी अधिकारियों ने लंबे समय से कहा है कि वे भारतीय प्रणाली में “जवाबदेही” चाहते हैं और चाहते हैं कि नई दिल्ली खामियों को दूर करे ताकि इस तरह के प्रयास दोबारा न हों. इन सबके बीच वाशिंगटन समझता है कि भारत एक महत्वपूर्ण रणनीतिक साझेदार है, लेकिन उसे इस तरह के “दुस्साहस” से अधिक सावधान रहने की जरूरत है.

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