कौन होते हैं MISA बंदी? जिन्हें छत्तीसगढ़ में मिलेगा राजकीय सम्मान

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Who are MISA prisoners

MISA prisoners: 1975-77 का आपातकाल, यह एक ऐसा दौर था जब लोकतंत्र की आवाज को दबाने की हर तरह से कोशिश की जा रही थी. लेकिन देशभर में ऐसे अनेक लोग थे जिन्होंने विरोध की मशाल को जलाए रखा और अपने हक की लड़ाई लड़ी.

इसी क्रम में छत्तीसगढ़ सरकार ने अब उन लोकतंत्र सेनानियों के सम्मान में एक महत्वपूर्ण फैसला किया है, जो उस मुश्किल समय में आंतरिक सुरक्षा अधिनियम (MISA) के तहत गिरफ्तार किए गए थे.

दिया जाएगा राजकीय सम्मान

राज्य सरकार की कैबिनेट बैठक हुई, जिसकी अध्यक्षता सीएम विष्णुदेव साय ने मंत्रालय महानदी भवन में की. इस दौरान उन्होंने निर्णय लिया है कि इन सेनानियों के निधन के बाद उनके अंतिम संस्कार के समय उन्हें राजकीय सम्मान दिया जाएगा. इसके साथ ही, उनके परिवारों को अंतिम संस्कार के लिए 25,000 रुपये की वित्तीय सहायता भी दी जाएगी.

संशोधन को मिली मंजूरी

कैबिनेट ने इसके लिए लोकनायक जयप्रकाश नारायण (MISA/डिफेंस ऑफ इंडिया रूल्स (DIR) राजनीतिक या सामाजिक कारणों से निरुद्ध व्यक्ति) सम्मान निधि नियम, 2008 में संशोधन को मंजूरी दी।

इस फैसले से MISA बंदीयों को मिलेगा लाभ

बता दें कि राज्य के करीब 350 MISA बंदी (MISA prisoners) को इस फैसले का लाभ मिलेगा। यह निर्णय उन लोगों के लिए एक विशेष मान्यता के रूप में है जिन्होंने अपने अधिकारों के लिए संघर्ष किया और लोकतंत्र की रक्षा में अपना योगदान दिया।

2008 में शुरू हुई थी पेंशन योजना

वहीं, फरवरी में छत्तीसगढ़ की BJP सरकार ने MISA बंदियों के लिए पेंशन योजना की फिर से शुरुआत की थी, जिसे पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार ने 2019 में बंद कर दिया था. यह पेंशन योजना पहली बार 2008 में भाजपा शासनकाल के दौरान शुरू की गई थी, जिसके तहत MISA बंदियों (लोकतंत्र सेनानी) को 10,000 रुपये से लेकर 25,000 रुपये तक की मासिक पेंशन दी जाती है.

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