ऑस्कर विजेताओं के साथ बनी विनोद कापड़ी की नई फ़िल्म “पायर” का वर्ल्ड प्रीमियर यूरोप में

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Vinod Kapri's new film _Pyre_

Vinod Kapri’s new film “Pyre”: ऑस्कर विजेताओं के साथ बनी राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार विजेता विनोद कापड़ी की नई फिल्म “पायर” का वर्ल्ड प्रीमियर ,यूरोप के प्रतिष्ठित 28वें  टैलिन  ब्लैक नाइट्स अंतरराष्ट्रीय फिल्म फेस्टिवल में होगा. इस साल  टैलिन   में चुनी गई ये अकेली भारतीय फिल्म है. फ़िल्म को वर्ल्ड कंपटीशन श्रेणी में रखा गया है और प्रीमियर की तारीख 19 नवंबर 2024 तय हुई है. टैलिन की तरफ से आज ही दुनिया भर से चुनी गई फ़िल्मों की सूची जारी हुई है.

80 साल के दो बुजुर्गों की एक प्रेम कहानी

“पायर” उत्तराखंड के हिमालय की पृष्ठभूमि में रची 80 साल के दो बुजुर्गों की एक अद्भुत, अनोखी, कलेजा चीर देने वाली अविश्वसनीय प्रेम कहानी है. दिलचस्प बात ये है कि लेखक – निर्देशक विनोद कापड़ी ने फिल्म के लीड एक्टर के तौर उन दो बुजुर्ग लोगों पदम सिंह और हीरा देवी को कास्ट किया है, उन्होंने फ़िल्म की शूटिंग से पहले जीवन ना कभी कोई कैमरा देखा है, ना ही कोई फ़िल्म.

उत्तराखंड के रहने वाले

पदम सिंह और हीरा देवी दोनों ही उत्तराखंड के पिथौरागढ़ ज़िले के बेरीनाग तहसील के रहने वाले हैं. पदम सिंह पहले भारतीय सेना में थे और रिटायरमेंट के बाद खेतीबाड़ी करते हैं जबकि हीरा देवी घर में भैंस पालने और जंगल से लकड़ी और घास काटने का काम करती हैं.

नसरुद्दीन और रत्ना को किया था कास्ट

डायरेक्टर विनोद ने पहले इस फ़िल्म के लिए नसीरुद्दीन शाह और रत्ना पाठक शाह Shah को कास्ट किया था. दोनों तैयार भी हो गए थे. लेकिन फिर नसीर साहब ने विनोद के सामने एक संशय रखा कि हिमालय की कहानी में नसीर/रत्ना की casting से फ़िल्म की प्रमाणिकता पर असर पड़ सकता है. विनोद ने फिर नए सिरे से कास्टिंग शुरू की और हिमालय के दूर दराज के दो दर्जन से ज़्यादा गांवों में तीन महीने तक भटकने के बाद विनोद को उनके पदम सिंह और तुलसी देवी मिल ही गए.

लेकिन सबसे बड़ी मुश्किल ये थी कि दोनों ने अपनी ज़िंदगी में कभी भी कैमरे का सामना नहीं किया था. नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा के अनूप त्रिवेदी  के मार्गदर्शन में दो महीने तक चली वर्कशॉप के बाद दोनों कलाकार शूटिंग के लिए तैयार किए गए.

जर्मन एडिटर पैट्रिशिया रॉमेल ने किया फ़िल्म को एडिट

ख़ास बात ये भी है कि Pyre की शूटिंग (Vinod Kapri’s new film “Pyre”) पूरी होने पर फ़िल्म की फुटेज देखने के बाद ऑस्कर विजेता फ़िल्म संगीतकार माइकल डैन्ना  तुरंत “पायर”  के लिए संगीत करने को तैयार हो गए. माइकल को “लाइफ़ ऑफ पाई” के लिए 2012 में ऑस्कर मिला था. जर्मन एडिटर पैट्रिशिया रॉमेल ने फिल्म को एडिट किया है. पैट्रिशिया ने  ही “ दी लाइफ ऑफ़ अदर्स” फ़िल्म  को एडिट किया था , जिसे 2006 में सर्वश्रेष्ठ अंतर्राष्ट्रीय फ़िल्म का ऑस्कर मिला था। भारत के विलक्षण गीतकार और  “जय हो” जैसे गीत लिख चुके गुलज़ार ने “पायर” के लिए एक गीत लिखा है.

गुलज़ार साहब ने किया फीस लेने से इंकार

विनोद के मुताबिक़- ये उनका परम सौभाग्य है कि विश्व सिनेमा की इन तीन महान हस्तियों ने “पायर” में अपना योगदान दिया है. माइकल और पैट्रिशिया ने तो अपनी फीस 90 फ़ीसदी तक कम कर दी और गुलज़ार साहब ने तो फ़ीस तक लेने से मना कर दिया. गुलज़ार सर ने यहां तक कहा कि जिस सिनेमा में उन्हें सत्यजीत राय के सिनेमा की झलक दिख रही हो, उसमें वो फीस कैसे ले सकते हैं ? 

सच्ची कहानी से प्रभावित है फिल्म

यह फिल्म “पायर”  उत्तराखंड में लगातार हो रहे पलायन के बाद वहां खाली हो चुके गांव , जिन्हें भूतिया गांव भी कहा जाता है- की पृष्ठभूमि में एक बुजुर्ग दंपत्ति की सच्ची कहानी से प्रभावित है, जिनसे विनोद 2017 में मुनसयारी  के एक गाँव में मिले थे. मृत्यु का इंतज़ार कर रहे इस बुजुर्ग दंपति के एक दूसरे को लेकर प्यार ने विनोद के दिल में ऐसी गहरी छाप छोड़ी कि उन्होंने ये फिल्म बनाने का फ़ैसला किया.

फिल्म का पहला पोस्टर जारी

नॉन एक्टर की इस फ़िल्म को बनाने के लिए जब कोई निर्माता नहीं मिला तो विनोद ने अपने और पत्नी साक्षी जोशी ने खुद ये फ़िल्म बनाने का फ़ैसला किया. भागीरथी फ़िल्म्स की निदेशक साक्षी जोशी का कहना है कि कि “कहानियों और किरदारों को लेकर विनोद के संकल्प पर उन्हें हमेशा से भरोसा रहा है. भारत में स्टूडियो के सहयोग के बिना स्वतंत्र फिल्म बनाना मुश्किल काम होता है , लेकिन असंभव नहीं है.”

टैलिन ब्लैक नाइट फ़िल्म फेस्टिवल में वर्ल्ड प्रीमियर के बाद कम से कम 7-8 महीने तक “पायर” अलग अलग अंतरराष्ट्रीय फ़िल्म समारोह में चलेगा और उसी के बाद फ़िल्म को भारत में रिलीज किया जाएगा. निर्माताओं ने आज फ़िल्म का पहला पोस्टर भी जारी किया है.

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