10वीं में 78% अंक और लॉरेंस बिश्नोई को मानता है आदर्श, जानें कौन है बाबा सिद्दीकी हत्या मामले में आरोपी धर्मराज कश्यप 

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नई दिल्ली। बाबा सिद्दीकी की हत्या के मामले में आरोपी धर्मराज कश्यप ने अगर अपने परिवार की बात मानी होती तो शायद वह मरीजों को इंजेक्शन दे रहा होता. लेकिन शायद और हकीकत में अंतर होता है. धर्मराज कश्यप ने इंजेक्शन के बदले गोलियां चलाना शुरू किया और आज मुंबई में बाबा सिद्दीकी की हत्या के मामले में आरोपी है.

10वीं की बोर्ड परीक्षा में 78% अंक

जानकारी के अनुसार उत्तर प्रदेश के बहराइच के इस युवा की ज़िंदगी की शुरुआत अच्छी रही, उसने 10वीं की बोर्ड परीक्षा में 78% अंक हासिल किए, जिसके बाद उसके परिवार ने उसे मेडिकल में करियर बनाने के लिए प्रेरित किया. लेकिन उसने परिवार की नहीं सुनी और सोशल मीडिया पर फैले उन बातों में आ गया , जहाँ गैंगस्टर अपने कारनामों के बारे में शेखी बघारते थे. धर्मराज  पैसे कमाने और प्रभाव की तलाश में गलत रास्ते पर चल पड़ा. लॉरेंस बिश्नोई जैसे गैंगस्टर उसके आदर्श बन गए. ये बात खुद धर्मराज के बड़े भाई अनुराग ने बताया.  अनुराग खुद को कोसते हुए कहता है कि मैं अपने छोटे भाई की देखभाल न कर पाने के लिए खुद को कोसता हूँ.

कबाड़ के कारोबार में करता था काम

धर्मराज की हरकतों और बिगड़ने  के पहले संकेत तब मिले जब धर्मराज -उर्फ रॉकी कश्यप इस साल अपनी इंटरमीडिएट परीक्षा में शामिल नहीं हुआ. इस पर अनुराग द्वारा डांटे जाने के बाद, धर्मराज अपने दोस्त और पड़ोसी शिवकुमार गौतम के साथ पुणे चला गया.  ये वही शिवकुमार है जो बाबा सिद्दीकी की हत्या का मुख्य संदिग्ध है और फिलहाल फरार है.

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शिवकुमार पिछले तीन सालों से पुणे में अपने चचेरे भाई हरीश निषाद के साथ कबाड़ के कारोबार में लगा हुआ था, जिसे सिद्दीकी की हत्या के आरोप में गिरफ्तार किया गया है. हालांकि, धर्मराज के लिए पुणे में जीवन और काम एक नया अनुभव था.

लॉरेंस बिश्नोई को मानता है आदर्श

12 अक्टूबर को सिद्दीकी की गोली मारकर हत्या के एक दिन बाद, मुंबई पुलिस की एक टीम अनुराग को बहराइच के उसके गंडारा गांव से पूछताछ के लिए ले गई थी. वह दो दिन पहले ही घर लौटा था. मुंबई पुलिस ने मुझे धर्मराज के साथ बैठकर बात करने की अनुमति दी. उसने खुलासा किया कि बिश्नोई गिरोह से जुड़ा अकोला का शार्प शूटर शुभम लोनकर उसका प्राथमिक संपर्क था. हालांकि अनुराग ने दावा किया कि उसे और गिरोह के अन्य सदस्यों को दिए गए लक्ष्यों के निर्देश गिरोह के उच्च अधिकारियों से आते थे, जिसमें लक्षित लक्ष्य के बारे में बहुत कम जानकारी दी जाती थी.  

भाई-बहनों में सबसे छोटा है धर्मराज

छह भाई-बहनों में सबसे छोटे धर्मराज की देखभाल अनुराग कर रहे थे. परिवार की आय का मुख्य स्रोत कपड़ों की दुकान पर टिका है. मीडिया सूत्रों की माने तो कबाड़ के कारोबार में उतरने से पहले शिवकुमार अपने परिवार का भरण-पोषण करने के लिए फूड डिलीवरी एजेंट के तौर पर काम करते थे. अनुराग ने बताया कि शिवकुमार धर्मराज से छोटा है, लेकिन अधिक परिपक्व प्रतीत होता है. वह पांचवीं कक्षा तक पढ़ाई छोड़ चुका है. गांव में रहने के दौरान दोनों में से किसी ने भी कोई हिंसक व्यवहार नहीं किया.