ब्रह्मपुत्र नदी: भारत की सबसे गहरी नदी

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नई दिल्ली/डेस्क: भारत में, नदियों का सांस्कृतिक और आध्यात्मिक महत्व होता है, और लगभग 200 प्रमुख नदियां दृश्यमंडल की सुंदरता को बढ़ाती हैं। छोटे नदियों से लेकर महान जलधाराओं तक, ये नदियां प्राचीन काल से ही लोगों के जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती आई हैं, और साथ ही भारत को पानी और पोषण प्रदान करती रही हैं।

इन नदियों में से एक नदी, ब्रह्मपुत्र नदी, गहरी और रोमांचक होने के साथ-साथ अत्यधिक महत्वपूर्ण भी है। आइए, इस अद्भुत जलधारा के बारे में विस्तार से जानते हैं।

ब्रह्मपुत्र का सफर

तिब्बत के पवित्र मानसरोवर झील से उत्पन्न होकर, ब्रह्मपुत्र नदी एक सफर पर निकलती है जो तीन देशों को छूता है। यह भारत में अरुणाचल प्रदेश के माध्यम से प्रवेश करती है, जहां यह प्रदेश से होकर बड़ी गहराईयों के साथ असम की घाटियों में बहती है और ब्रह्मपुत्र नदी के नाम से जानी जाती है। बांग्लादेश में प्रवेश करते हुए, यह गंगा की धारा पद्मा नदी के साथ मिलकर बंगाल की खाड़ी में पहुंचती है।

विभिन्न नाम

जब यह नदी विभिन्न क्षेत्रों में बहती है, तो उसके अलग-अलग नाम होते हैं। तिब्बत में “सियांग” के नाम से जानी जाती है, जबकि अरुणाचल प्रदेश में इसे “डिहांग” कहते हैं। जब यह असम में बहती है, तो इसे “ब्रह्मपुत्र” के नाम से पुकारा जाता है। बांग्लादेश में, इसे उसके दक्षिणी रास्ते पर “जमुना” के नाम से जानते हैं।

मजुली द्वीप और शाखाएं

ब्रह्मपुत्र नदी के सफर का आकर्षणकर्ता मजुली द्वीप की सृष्टि है, जो विश्व के सबसे बड़े नदी द्वीप के रूप में जाना जाता है। यह नदी की दो शाखाओं – डुब्रिगढ़ और लखीमपुर – में विभाजित करता है। मजुली द्वीप नदी की गति और भूगोलीय विशेषताओं को दिखाने का अद्वितीय उदाहरण प्रस्तुत करता है।

गहराई की अद्भुतता

ब्रह्मपुत्र नदी की अपूर्व गहराई बड़े विस्तार में होने के कारण है, कुछ स्थानों पर यह 380 फीट (115 मीटर) तक पहुंच सकती है। इसकी गहराई को दर्शाने के लिए, हम सोच सकते हैं कि 72 मीटर की ऊंचाई पर खड़ा शानदार कुतुब मीनार भी आसानी से इसमें समा सकता है। यह अत्यधिक गहराई इसे भारत की सबसे गहरी नदी बनाती है।

निष्कर्ष

ब्रह्मपुत्र नदी का सफर विभिन्न प्रांतों, संस्कृतियों और नामों की समृद्धि से भरपूर है। इसकी गहराई न केवल इसकी शानदारता का प्रतिनिधित्व करती है, बल्कि यह प्राणियों के जीवन को सहारा भी देती है। यह कहानी दर्शाती है कि एक नदी न केवल पानी, बल्कि इतिहास, संस्कृति और आजीविका की संवाहक भी हो सकती है।

रिपोर्ट: करन शर्मा