धान खरीद और पराली के मुद्दे पर पंजाब में किसानों का प्रदर्शन जारी; दिवाली सड़कों पर मनाने की तैयारी

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पंजाब के किसानों ने शनिवार (26 अक्टूबर) को कई स्थानों पर सरकार के खिलाफ प्रदर्शन जारी है. किसानों ने ये प्रदर्शन धान खरीद समेत कई मांगों को लेकर सरकार के खिलाफ किया गया है. जिसपर किसानों का कहना है कि जब तक हमरी मांगे पूरी नहीं हो जाती हैं, हमारा विरोध प्रदर्शन जारी रहेगा और राज्य के संगरूर, भटिंडा, मोगा, बटाला और गुरदासपुर में चक्का जाम किया जाएगा.

पंजाब किसान मजदूर संघर्ष समिति (PKMSC) के जिला अध्यक्ष अरनजीत सिंह ने कहा कि वे राज्य के किसानों से संबंधित मुद्दों को लेकर फगवाड़ा में एकत्र होंगे. सिंह ने कहा, “पंजाब सरकार और केंद्र सरकार दोनों को इस मुद्दे का समाधान समय पर निकालना चाहिए ताकि लोगों को सड़क नाकाबंदी (चक्का जाम) के कारण किसी भी समस्या का सामना न करना पड़े. हम नहीं चाहते कि आम लोगों को किसी भी समस्या का सामना करना पड़े. अगर सरकार कुछ भी तय करने में असमर्थ है, तो हम सड़कों को अवरुद्ध करने के लिए मजबूर होंगे.”

इस बीच, पंजाब के जालधर के किसान अन्य प्रदर्शनकारियों में शामिल हो गए और आज सुबह राजमार्ग को अवरुद्ध करने के लिए फगवाड़ा विरोध स्थल की ओर बढ़ते हुए देखे गए। पराली जलाने को लेकर किसानों पर की गई कार्रवाई पर एक वरिष्ठ किसान नेता ने कहा कि सड़कों पर फैक्ट्रियों और वाहनों से निकलने वाले प्रदूषण का जिक्र तक नहीं किया जाता, लेकिन पराली जलाने के मुद्दे को अक्सर तूल दिया जाता है।

किसानों किया हाईवे जाम

ऐसा ही पंजाब के संगरूर जिले के बादरूखा में देखने को मिला, यहां पर भी किसानों सरकार के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन शुरू किया और अपनी कई मांगों को लेकर राष्ट्रीय राजमार्ग पर जाम लगा दिया. किसान नेता जसविंदर सोमा उग्रहान ने बताया कि किसानों ने चार स्थानों पर राष्ट्रीय राजमार्ग बंद कर दिए हैं क्योंकि पंजाब और केंद्र सरकार दोनों ही उनके मुद्दों का हल नहीं निकाल पा रही हैं.

पराली जलाने से नहीं हो रहा है प्रदूषण- किसान

किसानों ने सरकार को घेरते हुए कहा कि पराली जलाने के नाम पर (किसानों के खिलाफ) कार्रवाई की जाती है, लेकिन प्रदूषण सिर्फ पराली जलाने की वजह से नहीं है. यह सड़कों पर कई वाहनों और फैक्ट्रियों की वजह से भी होता है. पराली जलाने से प्रदूषण का स्तर सिर्फ दो से तीन फीसदी ही होता है. जबकि, फैक्ट्रियों और दूसरी चीजों से निकलने वाले प्रदूषण का जिक्र तक नहीं किया जाता. पराली जलाना किसानों को बदनाम करने का एक बहाना मात्र है, जो अनुचित है.

किसानों ने आगे कहा कि पंजाब सरकार और केंद्र सरकार एक जैसी है. वे सिर्फ किसानों को बर्बाद करना चाहते हैं. इसलिए विरोध अनिश्चित काल तक जारी रहेगा. हम अमृतसर से फगवाड़ा जाएंगे और सड़कें जाम करेंगे.

किसानों की प्रमुख मांगें?

भाकियू और इसके सहयोगी संगठनों से जुड़े किसानों ने पठानकोट-चंडीगढ़ राष्ट्रीय राजमार्ग को कई जगहों पर जाम किया है. संगरूर, मोगा, फगवाड़ा और बटला इलाकों में प्रदर्शन के दौरान किसान सड़क पर बैठे हैं और यह आंदोलन तब तक जारी रहेगा जब तक उनकी धान की खरीदारी की समस्या का समाधान नहीं हो जाता. उन्होंने कहा कि एम्बुलेंस और परीक्षार्थियों को रास्ता दिया जाएगा, लेकिन अन्य वाहनों को जाम का सामना करना पड़ेगा.

दिवाली भी सड़कों पर मनाएंगे किसान

किसान नेता ने नाराजगी जताते हुए कहा कि सरकार की लापरवाही के कारण उन्हें अपने सभी त्यौहार सड़कों पर मनाने पड़े हैं और इस बार दिवाली भी वे सड़कों पर ही मनाएंगे. जसविंदर सोमा उग्रहान ने कहा, “अगर हमारी फसल समय पर बिक जाती, तो हम अपने घरों में दिवाली मना सकते थे. लेकिन सरकार का ध्यान किसानों की ओर नहीं है.”

पंजाब सरकार पर आरोप

पीकेएमएससी के महासचिव सरवान सिंह पंधेर ने आरोप लगाया कि पंजाब सरकार पिछले दो वर्षों से गोदामों में रखे चावल के स्टॉक के बारे में पारदर्शिता नहीं बरत रही है. उनका कहना है कि चावल मिलर्स घाटे का सामना करने को तैयार नहीं हैं और इस स्थिति को लेकर सरकार से कोई ठोस कदम नहीं उठाया जा रहा. पंधेर ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर भी निशाना साधते हुए कहा कि केजरीवाल हर मुद्दे पर ट्वीट करते हैं, लेकिन पंजाब के किसानों के धान खरीदारी के मुद्दे पर उन्होंने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी.