भारत और चीन के बीच लंबे समय से जारी सीमा विवाद में एक बड़ा कदम उठाते हुए दोनों देशों की सेनाएं लद्दाख के दो प्रमुख टकराव बिंदुओं– डेपसांग मैदान और देमचोक से पीछे हट चुकी हैं. इसके साथ ही इन क्षेत्रों में जल्द ही गश्त शुरू होने की उम्मीद है. सेना सूत्रों ने इस प्रक्रिया की पुष्टि करते हुए बताया कि स्थानीय कमांडरों के बीच बातचीत जारी रहेगी.
उम्मीद है कि हर बार की तरह ही इस बार भी दीवाली के मौके पर भारत और चीन के सैनिकों के बीच परंपरागत मिठाई का आदान-प्रदान हो सकता है.
चीन का रुख और नई शुरुआत का आह्वान
चीन के राजदूत, शू फेहोंग, ने कोलकाता में एक सत्र के दौरान अपने संबोधन में कहा कि “चीन-भारत संबंध एक नई शुरुआत पर खड़े हैं और दोनों देशों के बीच आर्थिक सहयोग को नई ऊंचाई तक ले जाने की संभावनाएं हैं.” उन्होंने आशा जताई कि इस सहमति के तहत दोनों देशों के संबंधों में सुधार होगा और खास मतभेदों की वजह से रुकावट नहीं आएगी.
गश्त और अस्थाई ढांचे हटाने की प्रक्रिया शुरू
सेना सूत्रों के अनुसार, टकराव बिंदुओं से पीछे हटने की प्रक्रिया की पुष्टि की जा रही है. यह काम ड्रोनों और अन्य तकनीकी संसाधनों के माध्यम से किया जा रहा है, जिसमें अस्थाई ढांचों को हटाना भी शामिल है.
तीन चरणों में पूरी होगी प्रक्रिया
सीमा पर शांति बहाल करने के लिए तीन-चरणीय प्रक्रिया अपनाई जा रही है. पहला चरण टकराव बिंदुओं से पीछे हटना, दूसरा तनाव कम करना, और अंत में सैनिकों को वापस बुलाना. मिली जानकारी के अनुसार, अब तीसरे चरण की प्रक्रिया जारी है.
सीमा पर पुरानी स्थिति की बहाली
विदेश सचिव विक्रम मिश्री ने 21 अक्टूबर को दोनों देशों के बीच गश्त के लिए सहमति की घोषणा की थी. इसके बाद चीन ने भी इस सहमति को स्वीकार करते हुए कहा कि दोनों देशों के सैनिक सीमा पर समझौते के अनुसार कार्य कर रहे हैं. इस समझौते के तहत दोनों पक्ष अप्रैल 2020 की स्थिति पर लौटेंगे, जिससे दोनों देशों के बीच भरोसे का माहौल पुनः स्थापित हो सके.
इस मामले पर विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि यह सहमति सीमा क्षेत्रों में 2020 से पहले की शांति और स्थिरता बहाल करने के लिए एक महत्वपूर्ण आधार प्रदान करती है.