भारतीय सेना के रोमियो फोर्स राष्ट्रीय राइफल्स बटालियन ने जम्मू और कश्मीर के राजौरी जिले के डीकेजी (देहरा की गली) और टापा पीर व मण्याल गांवों के स्थानीय निवासियों के साथ दीपावली का त्योहार मनाया.
इस कार्यक्रम का आयोजन रोमियो फोर्स आरआर बटालियन द्वारा किया गया, जिसमें गांव के महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों ने बड़े उत्साह से भाग लिया. सेना के जवानों ने ग्रामीणों को मिठाइयां बांटीं, त्योहार के उल्लास में शामिल हुए और स्थानीय निवासियों के साथ बातचीत करके रिश्तों और विश्वास को बढ़ावा दिया.
दीपावली के इस अवसर पर गांव में सोलर लाइट्स भी स्थापित की गईं, जिससे घरों और गलियों में रौशनी फैल गई. एक सैनिक ने ANI से कहा, “हमें अपने देश की सेवा करने पर गर्व है और लोगों के चेहरे पर खुशी लाने का अवसर मिलना एक सुखद अनुभव है। दीपावली आशा और एकता का प्रतीक है.”
एक स्थानीय निवासी ने ANI को बताया, “हम भारतीय सेना के प्रति आभारी हैं, जिन्होंने हमारी गांवों में रोशनी और खुशी लाई.”
इससे पहले, सेना के जवानों ने 8,000 फीट की ऊंचाई पर पीर पंजाल रेंज के पहाड़ी क्षेत्रों में अपने घरों से दूर दीपावली का त्योहार मनाया. जवानों ने भजन गाए, मिठाइयां बांटीं और पटाखे जलाकर इस ‘रोशनी के त्योहार’ का जश्न मनाया.
जवानों ने जम्मू और कश्मीर में नियंत्रण रेखा पर भी दीपावली मनाई, जहां उन्होंने दीपावली पूजा की, नृत्य किया, गाने गाए और पटाखों का आनंद लिया. एक जवान ने ANI को बताया, “हम अपने दूसरे परिवार- सेना के जवानों के साथ दीपावली मना रहे हैं. क्योंकि हम अपने परिवारों से दूर हैं.”
पूरे देश में 31 अक्टूबर को दीपावली का त्योहार मनाया गया, जिसकी शुरुआत धनतेरस से हुई. ‘रोशनी का त्योहार’ दीपावली, अंधकार पर प्रकाश और बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है. यह पांच दिवसीय उत्सव धनतेरस से शुरू होता है और भाई दूज के साथ समाप्त होता है। परिवार अपने घरों को दीयों से सजाते हैं, मिठाइयां साझा करते हैं, और एकता और आशा के साथ उत्सवों में भाग लेते हैं.