नई दिल्ली। रूस को इलेक्ट्रॉनिक, इंजीनियरिंग और विमानन घटकों(Aviation Components) की आपूर्ति करने के लिए अमेरिका द्वारा बैन किए गए 18 भारतीय कंपनियों को लेकर विदेश मंत्रालय ने शनिवार को कहा कि किसी भी भारतीय कंपनियों ने घरेलू कानूनों का उल्लंघन नहीं किया है.भारतीय कंपनियां उन करीब 400 संस्थाओं और व्यक्तियों में शामिल हैं, जिन पर अमेरिका ने प्रतिबंध लगाया था.
भारतीय कानूनों का उल्लंघन नहीं करती है कंपनियां : विदेश मंत्रालय
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने अमेरिका द्वारा बैन किए गए कंपनियों को लेकर पूछे गए एक सवाल के जवाब में कहा कि किसी भी प्रकार के लेनदेन में ये कंपनियां भारतीय कानूनों का उल्लंघन नहीं करती हैं. उन्होंने कहा कि हम मुद्दे को स्पष्ट करने के लिए अमेरिकी अधिकारियों के संपर्क में भी हैं.
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उन्होंने कहा कि भारतीय सरकारी एजेंसियां भारतीय उद्योगों और स्टेकहोल्डर के लिए रणनीतिक व्यापार और निर्यात नियंत्रण पर आउटरीच कार्यक्रम आयोजित कर रही हैं. भारत की स्थापित अप्रसार साख (Nonproliferation credentials) को ध्यान में रखते हुए, अधिकारी प्रासंगिक विभागों और एजेंसियों के साथ मिलकर भारतीय फर्मों को लागू निर्यात नियंत्रण प्रावधानों के बारे में जागरूक करने और उन्हें लागू किए जा रहे नए उपायों के बारे में सूचित करने के लिए काम कर रहे हैं जो कुछ परिस्थितियों में भारतीय कंपनियों को प्रभावित कर सकते हैं.
भारत के पास मजबूत कानूनी ढांचा :विदेश मंत्रालय
जायसवाल ने कहा कि भारत के पास रणनीतिक वस्तुओं के व्यापार और अप्रसार नियंत्रण के लिए एक मजबूत कानूनी और नियामक ढांचा है. देश तीन प्रमुख बहुपक्षीय अप्रसार निर्यात नियंत्रण व्यवस्था – वासेनार अरेंजमेंट, ऑस्ट्रेलिया समूह और मिसाइल प्रौद्योगिकी नियंत्रण व्यवस्था (MTCR) का सदस्य है. उन्होंने कहा कि भारत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद द्वारा बैन प्रतिबंधों और परमाणु अप्रसार (Nonproliferation) पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव 1540 को भी प्रभावी ढंग से लागू करता है.
अमेरिका ने 400 संस्थाओं और व्यक्तियों को किया है बैन
बता दें कि 30 अक्टूबर को अमेरिकी विदेश और वित्त विभागों ने रूस को यूक्रेन के खिलाफ ‘अवैध युद्ध’ चलाने में मदद करने के लिए 400 संस्थाओं और व्यक्तियों को बैन करने की घोषणा की थी. इस लिस्ट में 18 भारतीय कंपनियों का भी नाम था. अमेरिकी पक्ष की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि इन कंपनियों को रूस को यूक्रेन के खिलाफ युद्ध में मदद करने के लिए बैन किया गया था.