वक्फ संशोधन कानून पर नहीं सुनी गई बात तो छोड़ देंगे जेपीसी! विपक्षी सांसदों ने ओम बिरला को लिखा लेटर

Published
Waqf Amendment Act

Waqf Amendment Act: संसद का शीतकालीन सत्र 25 दिसंबर से शुरू होना है जिससे पहले वक्फ संशोधन बिल पर बनी संयुक्त संसदीय समिति (JPC) को अपनी रिपोर्ट जमा करनी है जिसमें उन्हें मौजूदा प्रस्ताव में किए जाने वाले बदलाव और सुझाव की लिस्ट देनी है. हालांकि जैसे-जैसे सत्र की तारीख नजदीक आ रही है, वैसे-वैसे ही इस बिल को लेकर राजनीति भी जोर पकड़ रही है.

विपक्षी सांसदों ने ओम बिरला को लिखा लेटर

सोमवार को जेपीसी में शामिल विपक्षी सांसदों ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को पत्र लिखकर चेतावनी दी है कि वे वक्फ विधेयक में बदलावों का अध्ययन करने वाली संयुक्त संसदीय समिति से खुद को ‘अलग’ कर सकते हैं .

सांसदों ने समिति के अध्यक्ष और भारतीय जनता पार्टी के जगदम्बिका पाल पर बैठक की तारीखों और परामर्श के लिए बुलाने के बारे में निर्णय एकतरफा लेने का आरोप लगाया और कहा कि वो उनकी ओर से दिए जाने वाले बदलाव के सुझावों को खारिज करने के लिए बलपूर्वक तरीकों का इस्तेमाल कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि अगर उन्हें कानून में बदलावों के बारे में अपनी चिंताओं को प्रस्तुत करने के लिए पर्याप्त समय नहीं दिया गया तो वे खुद को समिति से अलग कर लेंगे.

प्रस्ताव पेश होने के बाद से ही जारी है विरोध

वक्फ विधेयक में प्रस्तावित बदलाव अगस्त में संसद में पेश किए गए थे और विपक्षी सांसदों के उग्र विरोध (और कुछ प्रमुख भाजपा सहयोगियों के सवालों) के बीच इसे जेपीसी को भेज दिया गया था. तब से, विपक्ष के विरोध प्रदर्शनों और वाकआउट के कारण बैठकें बाधित हो रही हैं.

पिछले महीने उस समय नाटकीय स्थिति पैदा हो गई थी जब तृणमूल सांसद कल्याण बनर्जी ने भाजपा के अभिजीत गंगोपाध्याय से बहस करते हुए कांच की बोतल तोड़ दी थी और उसके टुकड़े जगदम्बिका पाल पर फेंक दिए थे.

कल्याण बनर्जी, जिन्होंने अपनी उंगलियां काट ली थीं, ने बाद में कहा कि उनका आवेश भरा ये लम्हा कलकत्ता हाई को पूर्व जस्टिस गंगोपाध्याय की ओर े उनके परिवार के साथ मौखिक रूप से किए जा रहे दुर्व्यवहार के कारण पैदा हुआ था.

पहली बार मुस्लिम महिलाओं से बात करने वाली थी जेपीसी

तृणमूल नेता ने अध्यक्ष जगदम्बिका पाल पर अपने भाजपा सहयोगी गंगोपाध्याय का पक्ष लेने का भी आरोप लगाया और कहा कि वो मेरी बातों पर कड़ी प्रतिक्रिया दे रहे थे जबकि उनके लिए सॉफ्ट कॉर्नर के तहत बात कर रहे थे. विपक्षी सांसदों ने ओडिशा स्थित पंचसखा बानी प्रचार जैसे समूहों की ओर से जेपीसी की सुनवाई पर सवाल उठाया है, उनका तर्क है कि वक्फ कानून पर चर्चा में इनका कोई हित नहीं है.

समिति आज दिल्ली स्थित जमात-ए-इस्लाम-ए-हिंद, एक शिया मुस्लिम समूह, और कारी अबरार जमाल के नेतृत्व वाली जमीयत हिमायतुल इस्लाम से सुनने के लिए बैठक करने वाली है. यह बैठक शुरू होने के बाद पहली बार मुस्लिम महिलाओं के समूह से भी सुनवाई करेगी.

मंगलवार को समिति द्वारा अखिल भारतीय अधिवक्ता परिषद से भी सुनवाई की उम्मीद है, जो राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से संबद्ध वकीलों का संगठन है, जो सत्तारूढ़ भाजपा का वैचारिक मार्गदर्शक है.

एनडीए में शामिल पार्टियों ने भी किया है वक्फ संशोधन बिल का विरोध

वक्फ कानून में प्रस्तावित बदलावों में (बोर्ड में गैर-मुस्लिम सदस्यों को शामिल करने के अलावा) केंद्रीय परिषद सहित कम से कम दो महिलाओं को शामिल करने का प्रावधान है. सूत्रों ने बताया कि इस विचार का उद्देश्य उन मुस्लिम महिलाओं और बच्चों को सशक्त बनाना है जो पुराने कानून के तहत “पीड़ित” थे.

कम से कम तीन भाजपा सहयोगियों – जिनमें बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की जेडीयू और आंध्र प्रदेश के उनके समकक्ष चंद्रबाबू नायडू की टीडीपी शामिल है, जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पार्टी की सरकार बनाए रखने में महत्वपूर्ण हैं – ने भी वक्फ संशोधन विधेयक के खिलाफ आवाज उठाई है.

यह भी पढ़ें: अल्मोड़ा के मार्चुला में खाई में गिरी बस, 36 लोगों की मौत की खबर