नई दिल्ली/डेस्क: रूस ने 47 साल बाद चांद पर लूना-25 मिशन को लॉन्च किया है, जिसका मुख्य उद्देश्य चांद्रमा पर पानी की खोज करना है। यह मिशन चांद के दक्षिण पोल पर जाएगा और वहां पर अपने नमूने लेकर उनका विश्लेषण करेगा।
रूस की अंतरिक्ष एजेंसी रोस्कोस्मोस के अनुसार, यह मिशन चांद की सतह पर 21 या 22 अगस्त को उतर सकता है।
चंद्रयान-3 से पहले चांद पर लैंड करेगा
5 दिनों तक चांद की तरफ बढ़ने के बाद यह उसकी ऑर्बिट में 7 से 10 दिन तक चक्कर लगाएगा। ऐसा हुआ तो रूस का लूना-25 भारत के चंद्रयान-3 से पहले चांद पर लैंड करेगा, क्योंकि चंद्रयान-3, 23 अगस्त को चांद पर लैंड करेगा।
लूना-25 लैंडर, जिसमें चार पैर हैं, चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करेगा और वहां से चांद की मिट्टी के नमूने लेकर उनका विश्लेषण करेगा। इसके साथ ही यह चांद्रमा पर लंबे समय तक विज्ञान अनुसंधान करेगा।
साउथ पोल पर पहली बार लैंडिंग करने वाला मिशन
रूस ने इस मिशन के लिए अमूर ओब्लास्ट के वोस्तोनी कॉस्मोड्रोम से सोयुज 2.1बी रॉकेट का उपयोग किया है। इस रॉकेट ने लूना-25 लैंडर को धरती के बाहर एक ऑर्बिट में छोड़ दिया है।
यह मिशन चांद के साउथ पोल पर पहली बार लैंडिंग करने वाला मिशन होगा, जो अब तक चांद के इक्वेटर पर ही होते थे। इसका मकसद सॉफ्ट-लैंडिंग तकनीक को विकसित करना है और चंद्रमा की आंतरिक संरचना का अध्ययन करके पानी जैसी महत्वपूर्ण खोजें करना है। उम्मीद है कि लैंडर एक साल तक चंद्रमा पर काम करेगा।
लेखक: करन शर्मा