बता दें, त्रियुगी नरायन महज 17 साल की उम्र में अचानक घर से गायब हो गए थे. जिसके बाद उनके परिजनों ने उन्हें ढूंढने की काफी कोशिश की लेकिन उनका कुछ पता नहीं चला. दिन गुजरते गए समय बीतता चला गया. जब वह काफी समय तक वापस घर नहीं लौटे तो परिवार ने उनके मिलने की आशा को छोड़ दिया. गांव में उनकी कुछ जमीन भी थी. पिता की मृत्यु के बाद उनके गायब हो जाने के कारण जमीन भी उनके नाम नहीं हुई.
छोटे भाई के गौना में शामिल होने आए थे त्रिजुगी नारायन
आज से 32 वर्ष पहले एक समय वो आया जब उनके गांव के ही कुछ लोगों ने उन्हें दिल्ली में देखा. फिर जब उनके छोटे भाई का गौना हुआ तो वे लोग उन्हें दिल्ली से बुलाकर घर लाए. लेकिन कार्यक्रम के दूसरे ही दिन त्रियुगी नरायन फिर घर से चले गए. फिर त्रियुगी नरायन की दिल्ली में एक व्यक्ति से मुलाकात हुई. वह इन्हें अपने साथ श्रीलंका लेकर चला गया, और फिर वहीं पर उन्हें छोड़ दिया. ऐसे में त्रियुगी नरायन ने करीब 30 वर्ष समुद्र के तट पर व्यतीत कर दिए.
त्रिजुगी नारायन की कहानी उन्हीं की जुबानी
त्रिजुगी नारायन ने अपनी कहानी सुनाते हुए बताया कि, दिल्ली का एक व्यक्ति मुझे नौकरी लगवा देंगे कह कर जहाज से श्रीलंका ले गया. लेकिन जब हम वहां पहुंचे तो हमें नौकरी नहीं मिली. कुछ दिनों तक उस व्यक्ति ने मुझे खाना-पानी दिया, और फिर वह उन्हें श्रीलंका छोड़कर वापस लौट आया. ऐसे में त्रिजुगी नारायन ने समुद्र के तट के किनारे रहना शुरू किया. वहीं कुछ लोग उन्हें भोजन पानी दे दिया करते थे. ऐसा करते-करते 30 वर्ष गुजर गए. काफी समय बीत जाने के बाद इन्हें अपने देश भारत का रहने वाला एक व्यक्ति मिला. जिसे उन्होंने अपनी सारी व्यथा बताई. फिर उस व्यक्ति ने उन्हें पानी के जहाज से भारत लाकर आंध्र प्रदेश के हैदराबाद में छोड़ दिया. कुछ दिनों तक हैदराबाद में इधर-उधर घूमने के बाद त्रिजुगी नारायन ट्रेन में बैठकर दिल्ली आ गए.
त्रिजुगी नारायन कुछ इस तरह पहुंचे अपने घर
दिल्ली में गोंडा का रहने वाला एक व्यक्ति मिला. उसने इनसे बातचीत की और फिर पूछा कि अपने घर जाना चाहते हो तो इन्होंने घर आने की इच्छा व्यक्त किया. जिस पर उसने इन्हें स्टेशन लाकर ट्रेन पर बैठा दिया. इसके बाद वह गोंडा पहुंचे. गोंडा पहुंचने के बाद इन्हें एक बार फिर असमंजस हुआ. लेकिन जब इन्होंने कौड़िया का नाम लिया. तब उनके भाई को त्रिजुगी नारायन के गोंडा में मौजूद रहने की जानकारी मिली और वह जाकर उन्हें लेकर आए. अब उनके पूरे परिवार में खुशी का माहौल है.