क्या बंगाल उपचुनाव में दिखेगा आरजी कर हॉस्पिटल केस का इफेक्ट, BJP करेगी वापसी या TMC का परचम होगा बुलंद?

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पश्चिम बंगाल की छह विधानसभा सीटों पर 13 नवंबर को उपचुनाव होने वाले हैं, जिनमें भाजपा आरजी कर अस्पताल की घटना के मुद्दे पर अपनी जीत का भरोसा जता रही है. क्योंकि 2021 के विधानसभा चुनावों में इन 6 सीटों पर भाजपा ने केवल एक सीट जीती थी, जबकि शेष 5 सीटें सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस (TMC) ने जीती थीं. इस बार सभी सीटों पर उपचुनाव की आवश्यकता इसलिए पड़ी है क्योंकि यहां से चुने गए विधायक 2024 के लोकसभा चुनावों में संसद पहुंच चुके हैं.

भाजपा और TMC के बीच कांटे की टक्कर!

बता दें कि 2021 के विधानसभा चुनाव में TMC ने जितनी सीटों पर जीत दर्ज की थी, उनमें से चार पर भाजपा दूसरे स्थान पर रही, जबकि भाजपा जीती हुई सीट मदारीहाट (ST) पर TMC दूसरे स्थान पर थी. लेकिन इस बार बंगाल के उपचुनाव में आरजी कर हॉस्पिटल केस मुख्य बिंदु रहने वाला है, यही कारण है कि भाजपा का प्रचार मुख्यतः आरजी कर हॉस्पिटल केस के इर्द-गिर्द घूम रहा है. और बंगाल सरकार में नेता प्रतिपक्ष शुभेंदु अधिकारी लगातार मतदाताओं से पूछ रहे हैं कि, “क्या आप बदला नहीं लेना चाहते?”

वहीं, TMC नेता कुनाल घोष का कहना है कि भाजपा मुद्दों से भटक रही है. घोष ने आरोप लगाया कि भाजपा ऐसी घटनाओं को चुनाव से जोड़ने की कोशिश कर रही है जिनका इस चुनाव से कोई संबंध नहीं है. उन्होंने यह भी कहा कि TMC विकास के मुद्दे पर चुनाव लड़ेगी और लोगों को देखना चाहिए कि कौन विकास ला सकता है. TMC ने अपने चुनाव प्रचार में कई लोक-कल्याणकारी योजनाओं जैसे लक्ष्मी भंडार, कन्याश्री और युवाश्री का भी उल्लेख किया है.

इन नेताओं के कंधे पर है चुनाव प्रचार का भार

इस चुनाव में TMC और भाजपा ने अपने-अपने क्षेत्रीय नेताओं को उम्मीदवार बनाया है. बता दें कि TMC के स्थानीय नेताओं की टीम का नेतृत्व करने वाले मंत्री सुजीत बोस, फिरहाद हकीम और चंद्रिमा भट्टाचार्य जैसे नेता हैं, जबकि भाजपा की ओर से शुभेंदु अधिकारी मुख्य चेहरा बने हुए हैं. दोनों ही दलों ने भ्रष्टाचार और कानून व्यवस्था के मुद्दों को लेकर एक-दूसरे पर निशाना साधा है.

बंगाल उपचुनाव में लेफ्ट और कांग्रेस बहुत कमजोर!

हालांकि,  बंगाल उपचुनाव में इस बार लेफ्ट और कांग्रेस की स्थिति बहुत कमजोर नजर आ रही है. वहीं, अगर दूसरी ओर ध्यान दें तो 2021 के विधानसभा चुनावों में भी लेफ्ट और कांग्रेस की स्थिति कुछ ठीक नहीं थी, क्योंकि भाजपा और TMC के मुकाबले इनका वोट शेयर बहुत कम रहा था, और लेफ्ट या कांग्रेस एक भी सीट नहीं जी पाई थी.

ऐसा ही माहौल इस बार भी नजर आ रहा है, हालांकि लेफ्ट ने प्रचार में डोर-टू-डोर कैंपेन पर जोर दिया है. जिसको लेकर CPI(M) के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि, “हम जानते हैं कि जीत हमारी नहीं होगी, लेकिन हम देखना चाहते हैं कि आरजी कर आंदोलन के बाद हमारे वोट प्रतिशत में कितना इजाफा हुआ है.”