नई दिल्ली। न्यूजीलैंड के खिलाफ घरेलू सीरीज में खराब प्रदर्शन के बाद, भारतीय टीम के कप्तान रोहित शर्मा और दिग्गज बल्लेबाज विराट कोहली पर बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी से पहले काफी दबाव हैं. इंडिया लेजेंड्स में भले ही पुराने फॉर्म में नहीं दिख रहें हो लेकिन बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी में भारतीय टीम में उनकी मौजूदगी टीम के लिए कारगर साबित हो सकती है. इसकी खास वजह है कि दोनों इंडिया लेजेंड्स ने खुद को आधुनिक क्रिकेट की कठोरता से बचने के लिए अपने खेल को ढाल लिया है.
कोहली और रोहित के भविष्य के लिए निर्णायक सीरीज
बता दें कि दोनों ही स्टार बल्लेबाज़ खराब दौर से गुज़र रहे हैं, ऐसे में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ होने वाली सीरीज कोहली और रोहित के भविष्य के करियर के लिए निर्णायक साबित हो सकती है. भारत के पूर्व कोच और ऑस्ट्रेलिया के महान खिलाड़ी ग्रेग चैपल का मानना है कि दोनों को वर्तमान को सुधारने के लिए अपने अतीत से सीख लेने की ज़रूरत है. दूसरे शब्दों में कहें तो उन्हें अपने युवा दिनों से प्रेरणा लेनी चाहिए जब उनका ध्यान सिर्फ़ रन बनाने पर था न कि परिस्थितियों पर.
उम्र बढ़ने के साथ बल्लेबाजी करना होता है कठिन
चैपल ने सिडनी मॉर्निंग हेराल्ड में अपने कॉलम में 2005 में सचिन तेंदुलकर के साथ हुई उस बातचीत को याद किया जिसमें मास्टर ब्लास्टर जानना चाहते थे कि उम्र बढ़ने के साथ बल्लेबाजी करना कठिन क्यों हो जाता है. चैपल ने अपने कॉलम में लिखा कि “उम्र बढ़ने के साथ बल्लेबाजी करना कठिन क्यों हो जाता” पर मैंने उन्हें समझाया कि उम्र बढ़ने के साथ बल्लेबाज की मानसिक मांगें बढ़ती जाती हैं, “बल्लेबाजी कठिन हो जाती है क्योंकि आपको पता चलता है कि इस स्तर पर रन बनाना कितना कठिन है और सफल होने के लिए आवश्यक मानसिक ध्यान बनाए रखना कितना मुश्किल है. ध्यान रखना कठिन हो जाता है. लेकिन जब कोई युवा होता है, तो उसका दिमाग रन बनाने पर केंद्रित होता है.
चैपल चाहते हैं कि कोहली और रोहित इस बातचीत से सीख लें और अपनी युवावस्था के दिनों की तरह जोश से काम लें. उन्होंने लिखा, एक युवा खिलाड़ी अक्सर सिर्फ़ रन बनाने पर ध्यान केंद्रित करता है, पिच की स्थिति, मैच की स्थिति या अपनी कमज़ोरियों के बारे में ज़्यादा सोचता है.