‘चक्का जाम का मतलब आतंकवाद नहीं’, दिल्ली दंगों की साजिश मामले पर पूर्व AAP काउंसलर ने एजेंसी को ही घेरा

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दिल्ली की कड़कड़डूमा कोर्ट में शुक्रवार (8 नवंबर) को 2020 उत्तर-पूर्वी दिल्ली दंगों से जुड़े एक मामले में सुनवाई हुई. ताहिर हुसैन के वकील राजीव मोहन ने अदालत में कहा कि दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल ने जिन चैट का उल्लेख किया है, उनमें केवल ‘चक्का जाम’ और शांतिपूर्ण प्रदर्शन की बात की गई है. एएसजे (अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश) समीर बजपेई की अदालत में इस मामले में आरोप तय करने पर सुनवाई हो रही है.

क्या है मामला?

बता दें कि आम आदमी पार्टी (AAP) के पूर्व पार्षद ताहिर हुसैन के खिलाफ दंगा, लूट और आगजनी सहित आरोप तय करने का आदेश दिया था. अपनी पिछली सुनवाई के दौरान अदालत ने कहा था कि प्रथम दृष्टया उन्होंने (ताहिर हुसैन) 2020 के पूर्वोत्तर दिल्ली सांप्रदायिक दंगों के दौरान भीड़ को हिंसा के लिए उकसाया था.

फिलहाल, हुसैन और अन्य 17 आरोपियों के खिलाफ UAPA (गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम) के तहत आरोप लगाए गए हैं. इन 18 आरोपियों में से 6 को जमानत मिल चुकी है और 12 अभी भी न्यायिक हिरासत में हैं.

अदालत की सुनावाई पर पूर्व आम आदमी पार्टी (AAP) पार्षद ताहिर हुसैन ने कहा कि जिन व्हाट्सएप चैट का हवाला दिया जा रहा है, उनमें कहीं भी हथियार उठाने या हिंसा करने के लिए नहीं कहा गया है.

वहीं, इस मामले में वकील मोहन ने कहा है कि, “व्हाट्सएप मैसेज में कहीं भी भारत सरकार या उसकी एजेंसियों के खिलाफ हथियार उठाने की बात नहीं है.”

वकील ने कोर्ट को बताया- “चक्का जाम” आतंकवाद नहीं…

राजीव मोहन ने कहा, “चक्का जाम कोई आतंकवादी कृत्य नहीं है…क्या लोगों से मिलना और विरोध करना भी एजेंसी के अनुसार आतंकवादी गतिविधि है?”

बता दें कि इस मामले में स्पेशल सेल ने सबूत के रूप में व्हाट्सएप चैट के अलावा सीसीटीवी फुटेज और गवाहों के बयान भी प्रस्तुत किए हैं. जिसपर अभियोजन पक्ष का कहना है कि 2020 के दंगे नागरिकता संशोधन विधेयक के खिलाफ एक “गहरी साजिश” का परिणाम थे, जो दिसंबर 2019 में केंद्रीय कैबिनेट द्वारा पास किया गया था.

वहीं, वकील मोहन ने अभियोजन पक्ष पर सवाल उठाते हुए कहा कि, “इस मामले में सामान्य साजिश क्या है? पहले एजेंसी को यह स्पष्ट करना चाहिए. आरोपी किस अपराध को अंजाम दे रहे थे?” उन्होंने यह भी कहा कि “जब तक कोई तत्व यह न दिखाए कि किसी सशस्त्र विद्रोह या बगावत को बढ़ावा दिया गया, तब तक UAPA लागू नहीं किया जा सकता.”

स्पेशल सेल का आरोप?

स्पेशल सेल का आरोप है कि दंगे से पहले 23 विरोध स्थल बनाए गए थे, जो मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में “24×7” संचालित हो रहे थे और इन्हें मस्जिदों और मुख्य सड़कों के पास स्थापित किया गया था. अभियोजन पक्ष का यह भी कहना है कि फरवरी 2020 के दंगों से पहले दिसंबर 2019 में इसी तरह के तरीके से एक “नकली दंगा” हुआ था जिसमें समान लोग और तरीका था. लेकिन 2020 के दंगों में 700 से अधिक लोग घायल हुए थे और 50 लोगों की मौत हुई थी.