Menstrual Hygiene: सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से स्कूलों में मासिक धर्म स्वच्छता (Menstrual Hygiene) की जमीनी हकीकत पर याचिकाकर्ता द्वारा उठाए गए मुद्दों को स्पष्ट करने को कहा है. जस्टिस जे.बी. पारदीवाला और जस्टिस पंकज मिथल की बेंच ने अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) ऐश्वर्या भाटी को इस मामले पर गौर करने और 3 दिसंबर की अगली सुनवाई तक स्थिति स्पष्ट करने का निर्देश दिया है.
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, बीते दिन 12 नवंबर को सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता द्वारा उठाए गए मुद्दों को गंभीरता से लिया जाना चाहिए. कोर्ट को बताया गया कि केंद्र सरकार ने ‘स्कूल जाने वाली लड़कियों के लिए मासिक धर्म स्वच्छता’ (Menstrual Hygiene) पर एक राष्ट्रीय नीति बनाई है. इस नीति में दृष्टिकोण, लक्ष्य, कार्यक्रम और जिम्मेदारियों को शामिल किया गया है.
एएसजी ऐश्वर्या भाटी ने क्या कहा?
एएसजी भाटी ने स्वीकार किया कि नीति को प्रभावी बनाने के लिए अभी बहुत काम बाकी है. उन्होंने बताया कि स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के साथ समन्वय कर इस नीति को लागू करने के लिए कार्ययोजना तैयार करेगा.
याचिकाकर्ता ने किया ये दावा
याचिकाकर्ता के वकील ने तर्क दिया कि सरकार द्वारा बनाई गई नीति याचिका में उठाए गए मुख्य मुद्दों का समाधान नहीं करती. वकील ने नीति में उपयोग किए गए आंकड़ों पर भी सवाल उठाए. उन्होंने कहा कि नीति में दिखाए गए आंकड़े, जैसे कि सैनिटरी नैपकिन, कपड़े और स्थानीय नैपकिन के उपयोग का कुल प्रतिशत 129% है, जो स्पष्ट रूप से गलत है.
जमीनी हकीकत की समस्याएं
याचिकाकर्ता ने मध्य प्रदेश के दमोह जिले का उदाहरण देते हुए कहा कि स्कूलों में सफाईकर्मी और हाउसकीपिंग जैसी बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध नहीं हैं. मिडिल स्कूलों में सैनिटरी पैड की सुविधा भी नहीं है. यदि किसी छात्रा को मासिक धर्म के दौरान पैड की आवश्यकता होती है, तो उसे घर भेज दिया जाता है.
याचिका में क्या मांग की गई?
1-मुफ्त सैनिटरी पैड की उपलब्धता- कक्षा 6 से 12 तक की छात्राओं के लिए.
2-अलग शौचालय- सभी सरकारी, सहायता प्राप्त और आवासीय स्कूलों में.
3-सफाईकर्मियों की नियुक्ति- शौचालयों की नियमित सफाई के लिए.
तीन-स्तरीय जागरूकता अभियान:
1-मासिक धर्म स्वास्थ्य और वर्जनाओं को दूर करने के लिए जागरूकता.
2-वंचित क्षेत्रों में रियायती या मुफ्त सैनिटरी उत्पाद और स्वच्छता सुविधाएं.
3-मासिक धर्म अपशिष्ट के निपटान के लिए स्वच्छ तरीके अपनाना.
क्यों जरूरी है यह नीति?
मासिक धर्म स्वच्छता महिलाओं के स्वास्थ्य और गरिमा के लिए बेहद ही जरूरी है. संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत स्वास्थ्य का अधिकार हर नागरिक का मौलिक अधिकार है. खराब मासिक धर्म प्रबंधन छात्राओं की शिक्षा, स्वास्थ्य और जीवन पर नकारात्मक प्रभाव डालता है.
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