नई दिल्ली/डेस्क: आगामी हफ्ते, दक्षिण अफ्रीका में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच वार्ता हो सकती है। इस संभावना का उल्लेख सोमवार को होने वाली दोनों देशों के सैन्य अधिकारियों की वार्ता के परिणाम पर निर्भर करेगा।
अप्रैल 2020 में चीनी सेना के तरफ से किए गए घुसपैठ के परिणामस्वरूप उत्पन्न स्थिति पर ब्रिक्स देशों के सैन्य अधिकारियों के बीच ये 19वें दौर की वार्ता होगी। यह वार्ताएं दोनों देशों के बीच सैन्य तनाव को कम करने में मददगार साबित हो रही हैं।
2019 से नहीं हुई औपचारिक वार्ता
चीनी सेना के घुसपैठ के संबंध में जिन मुद्दों पर विवाद थे, वे मुद्दे अगर समझौते पर आते हैं, तो दोनों देशों के नेताओं के बीच वार्ता का मार्ग भी प्रस्तुत हो सकता है। पूर्वी लद्दाख में चीनी सेना की घुसपैठ से पहले, प्रधानमंत्री मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच लंबी चर्चाएं चल रही थीं।
डोकलाम संकट के बाद, ये दोनों नेता समझौते को बढ़ाने के लिए आपसी वार्ता की शुरुआत कर चुके थे। इनके बीच की आपसी वार्ता का अंतिम दौर अक्टूबर 2019 में चेन्नई में हुआ था। उनकी आपसी मुलाकात दिसंबर 2022 में बाली (जी-20 बैठक के दौरान) में हुई थी, जिसकी जानकारी कुछ हफ्ते पहले ही विदेश मंत्रालय ने दी थी।
एक मंच पर होंगे पीएम मोदी और शी जिनपिंग
ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के लगभग तीन हफ्ते बाद, 9-10 सितंबर 2023 को मोदी और चिनफिंग जी-20 शिखर सम्मेलन के लिए एक मंच पर आ सकते हैं। शिखर सम्मेलन के दौरान, प्रधानमंत्री मोदी की विभिन्न विश्व नेताओं के साथ द्विपक्षीय बैठकों की संभावना है।
इसका मतलब है कि अगर 19वें दौर की सैन्य वार्ता सकारात्मक परिणाम देती है, तो दोनों नेताओं के लिए आधिकारिक बातचीत करना सरल हो जाएगा। सूत्रों के अनुसार, चीनी सेना के घुसपैठ के संबंध में जो तनाव था, उसकी स्थिति वर्तमान में कम हो रही है।
वांग यी सुधरेंगे भारत-चीन के रिश्ते
वांग यी पुनः विदेश मंत्रालय की जिम्मेदारी संभालने के बाद, कुछ हफ्तों में ही भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के साथ विभिन्न विमर्श कर चुके हैं।
वांग यी भारत और चीन के मुद्दों को अच्छे तरीके से समझते हैं। उनके पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के साथ भी द्विपक्षीय संबंधों पर वार्ता हुई थी। इसके अलावा, भारत और चीन के वित्त मंत्रियों की, जुलाई 2023 में भी, आपसी आर्थिक संबंधों पर वार्ता हुई थी।
सीमा पर शांति जरुरी
चीन भारत का महत्वपूर्ण व्यापारिक साथी है, लेकिन 2019 के बाद इनके बीच आर्थिक मुद्दों पर कोई बातचीत नहीं हुई थी। भारत का मानना है कि सीमा पर शांति और सुरक्षा की स्थापना के बिना, संबंधों को सामान्य बनाना मुश्किल है।
दूसरी ओर, चीन सीमा विवाद को ज्यादा महत्व नहीं देता है। इस दिशा में, प्रधानमंत्री मोदी और शी जिनपिंग की मुलाकात संबंधों को मजबूती से फिर से स्थापित करने में मददगार साबित हो सकती है।
लेखक: करन शर्मा