नई दिल्ली/डेस्क: चीन को बलूचिस्तान में हुए हमले की खबर ने पाकिस्तान को मुसीबत में डाल दिया है। इस हमले के पीछे बलूच लिबरेशन आर्मी (बीएलए) का हाथ माना जा रहा है, जिन्होंने चीनी इंजीनियरों के काफिले पर हमला किया।
इस आत्मघाती हमले में कुछ चीनी नागरिकों की मौके पर मौत हो गई है। बीएलए ने इस हमले को ‘ऑपरेशन जिर पहजाग’ का नाम दिया है। यह हमला चीन के पाकिस्तान से जुड़े प्रोजेक्ट्स को प्रभावित करने के लिए किया गया है, जैसे कि चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर (CPEC) के कई प्रोजेक्ट्स बलूचिस्तान के ग्वादर बंदरगाह में चल रहे हैं।
30 मिनट तक चीनी इंजीनियरों पर गोलियां चलाई
सुबह 9 बजकर 18 मिनट के आसपास, बीएलए ने ये हमला किया। इस हमले का लक्ष्य चीनी इंजीनियरों का काफिला था, जिसमें कई गाड़ियां थीं। ये चीनी इंजीनियर पाकिस्तानी सेना, पुलिस, एटीएफ और एक बख्तरबंद वाहन के साथ सुरक्षित रूप से यात्रा कर रहे थे।
बीएलए ने करीब 30 मिनट तक चीनी इंजीनियरों पर गोलियां चलाई। इससे पहले, उन्होंने काफिले को रोकने के लिए हथगोले का भी इस्तेमाल किया। इस हमले के परिणामस्वरूप चार चीनी नागरिकों और ग्यारह पाकिस्तानी सुरक्षा कर्मियों की मौके पर मौत हो गई। कई लोग घायल भी हुए।
दिया 90 दिन का अल्टीमेटम
बीएलए (Baluchistan Liberation Army) द्वारा किए गए हमले के बाद उन्होंने अपने मिशन के तीसरे चरण की घोषणा की है। उन्होंने चीन को 90 दिनों के अंदर बलूचिस्तान से चले जाने का अल्टीमेटम दिया है।
इसके साथ ही उन्होंने चीन के बलूचिस्तान में कब्जे की आलोचना की. उन्होंने इस बात को भी उजागर किया कि जब तक बलूचिस्तान को आजादी नहीं मिलती, तब तक यहां पर विदेशी निवेश की इजाजत नहीं मिलेगी।
इस हमले के माध्यम से बीएलए ने चीन को साफ संकेत दिया है कि वे अपने क्षेत्र पर चीन को कब्जा करने नहीं देगा। और अगर चीन नहीं माना तो चीन को और अधिक हमलों का सामना करना पड़ेगा।
भारत और अमरीका की भूमिका?
इस घटना ने साफ तौर पर बताया है कि बलूचिस्तान में इन बढ़ते तनाव के पीछे भारतीय और अमरीकी गुप्तचर एजेंसियों की भूमिका भी हो सकती है। चीन के पाकिस्तान में प्रोजेक्ट्स के बारे मेंआलोचना तब से चल रही है जब से यह प्रोजेक्ट्स शुरू हुए हैं, और यह हमला इस आलोचना को और भी मजबूती देता है।
इस घटना के बाद, चीन को अपने विदेशी परियोजनाओं की सुरक्षा पर विचार करने की आवश्यकता है और वे बलूचिस्तान से संवाद स्थापित करके उसकी समस्याओं का समाधान ढूंढने का प्रयास कर सकते हैं।
इस घटना के बावजूद, बीएलए के द्वारा दिए गए अल्टीमेटम ने चीन को विचार करने के लिए एक अवसर दिया है कि वे कैसे बलूचिस्तान के बारे में सकारात्मक कदम उठा सकते हैं।
लेखक: करन शर्मा