नई दिल्ली: दक्षिण भारत के राज्यों में 17 अगस्त से चिंगम महीने की शुरूआत होने जा रही है। मलयालम कैलेंडर के हिसाब से पहले महने का नाम चिंगम होता है। प्रतिएक साल 16 या 17 अगस्त को जब सूर्य आपनी राशि सिंह में प्रवेश करता है, तो मलयासम नववर्ष की शुरूआत होती है। इसी महीने के शुरूआत के 4 दिन बाद से ही ओणम पर्व की शुरूआत हो जाती है। ये त्योहार 10 दिनों तक चलता है। औणम को दक्षिण भारत का एक प्रमुख त्योहार माना जाता है। जिसे मलयालम भाषा में थिरुवोणम भी कहते हैं। दक्षिण भारत के लोग थिरुवोणम को इसलिए मनाते हैं ताकि, उनके खेतों में उपज अच्छी हो।
ओणम की क्या है मान्यता?
ऐसी मान्यता है कि केरल में महाबलि नाम का एक राजा हुआ करता था जो कि असुर था, लेकिन असुर होने के बाद भी राजाबलि इतना दानवीर था जिसके चर्चें स्वर्ग लोक में थे। कहा जाता है कि राजाबलि की परीक्षा लेने और उसका घमंड तोड़ने के लिए भगवान विष्णु ने वामन का अवतार लिया और राजाबलि से तीन पग जमीन मांग ली। लेकिन भगवान विष्णु ने दो ही पग में सारे बृह्माण को नाप लिया। जब राजाबलि के पास कुछ नहीं बचा तो राजा ने विष्णु भगवान का पैर अपने सिर पर रखने को कहा। राजा की वचनबद्धत्ता और उसके बलिदान को देखकर विष्णु भगवान ने बलि को पाताल लोक का राजा बना दिया था।
क्या है महत्वता?
दक्षिण भारत के लोगों की ये मान्यता है कि ओणम के पहले दिन राजाबलि पाताल लोक को छोड़कर धरती लोक पर आते हैं और जनता का हाल चाल जानते हैं। चिंगम के पहले सप्ताह के 4 से 5वें दिन के बाद ही ओणम त्योहार की शुरुआत हो जाती है। 10 दिनों तक चलने वाले इस त्योहार के दौरान फसलों की कटाई की जाती है। घरों की सफाई करके सजावट की जाती है और घर के बाहर रंगोली बनाई जाती है। वल्लम कली यानी स्नेक बोट रेस का भी आयोजन किया जाता है।