RJD और JDU का बिहार में गठबंधन, नागालैंड में तलाक

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बिहार में दोस्त नागालैंड में आमने-सामने

नागालैंड में विधानसभा की 60 सीटों पर कुल 13 पार्टियां चुनावी रण में उतर चुकी हैं। वहीं बिहार में गठबंधन की सरकार चलाने वाले तेजस्वी यादव (RJD) और नीतीश कुमार (JDU) नागालैंड में एक-दुसरे को चुनौती दे रहे हैं। बिहार में भले ही मिलकर सरकार चला रहे हैं। लेकिन, नागलैंड में इनका आपस में मुकाबला होने वाला है। वहीं, चिराग पासवान भी अपनी लोक जन शक्ति पार्टी के साथ चुनावी रण में अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। बिहार की तीनों क्षेत्रिय पार्टियों में से किसका पलड़ा भारी होगा, ये तो चुनावी नतीजे ही बताएंगे।

5 सीटों पर किस्मत आजमा रही RJD

2008 में RJD चुनाव लड़ी थी जिसमें 6.7 फिसदी वोटों पर अपना कब्ज़ा जमा पाई थी। हालांकि, उसके बाद पार्टी का ग्राफ नीचे गिरा। 2013 में केवल 2 सीटों पर RJD चुनाव लड़ी थी। लेकिन, 2018 के चुनाव से अछुता रह गई। इस बार 5 सीटों पर मैदान में उतरने के साथ ही पार्टी ने घोषणा की है। अगर हम कोई भी सीट जीतते हैं तो, ऐसी किसी भी पार्टी के साथ गठबंधन नहीं करेंगे। जिसमें भाजपा शामिल होगी।

9 सीटों पर JDU के प्रत्याशी मैदान में

बिहार में JDU और RJD एक साथ मिलकर सत्ता संभाल रहें हैं। लेकिन, नागालैंड में एक-दुसरे के खिलाफ मैदान में हैं। 2018 में JDU ने 13 उम्मीदवारों को मैदान में उतारा था। जिसमें से JDU को एक सीट मिल पाई थी। नागालैंड में JDU के साढ़े चार फीसदी वोट हैं।

जेडीयू ने राज्य के पूर्वोत्तर का प्रभारी आफ़ाक आलम को बनाया है, और वो पिछले दो दशक से राज्य में JDU की उपस्थिती पर चुनाव जीतने के कयास लगाए बैठे हैं। 2003 में जेडीयू नागालैंड में 3 सीटों पर जीत दर्ज की थी। जिसमें से एक को मंत्री का भी पद मिला।

बिहार की LJP भी चुनावी रण में

चिराग पासवान की लोक जन शक्ति पार्टी नागालैंड के चुनावी रण में पहली बार उतरी है। कुल 19 सीटों पर एलजेपी के प्रत्याशी मैदान में हैं। नागालैंड की NDPP (Nationalist Democratic Progressive Party) ने इस बार अपने जिन 5 विधायकों के टिकट काटे हैं उन पर LJP ने दांव लगाया है। आदिवासी और दलित वोटों के दम पर जीत दर्ज करने की कवायद में एलजेपी पूरे मजबुती के साथ रण में उतरी है।

बिहार के दलों में राष्ट्रीय पार्टी बनने की जुगत

नागालैंड में बिहार के तीनों क्षेत्रीय दलों का चुनावी रण में उतरने का इरादा खुद को राष्ट्रीय पार्टी के रूप में स्थापित करने का है। इसलिए बिहार में साठ-गांठ से सरकार चलाने वाली पार्टीयां (आरजेडी और जेडीयू) नागालैंड में आमने-सामने हैं। इस क्रम में एलजेपी भी शामिल है। रामविलास पासवान के निधन के बाद उनके सियासी विरासत को फिलहाल चिराग पासवान संभाल रहे हैं। अपनी पार्टी का राजनीतिक आधार बढ़ाने के लिए 19 सीटों पर चुनाव लड़ रहे हैं। ऐसे में देखना है कि राष्ट्रीय पार्टी बनने का सपना बिहार के तीनों दलों में से कौन सी पार्टी पूरा कर कर पाती है।