लूना-25″ हुआ क्रैश, भारत के चंद्रयान-3 को फायदा?

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नई दिल्ली/डेस्क: रूस की स्पेस एजेंसी के अनुसार, “लूना-25” अंतरिक्ष यान चंद्रमा पर दुर्घटनाग्रस्त हो गया है। रूसी अंतरिक्ष एजेंसी ने बताया कि उनका “लूना-25” अंतरिक्ष यान अनियंत्रित होकर चंद्रमा से टकरा गया है।

यान में किसी अप्रत्याशित समस्या के कारण यह दुर्घटना घटित हुई। यह यान चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर जाकर लैंडिंग करने की कोशिश कर रहा था। और इसके साथ ही भारत के “चंद्रयान-3” के साथ यह चांद के दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने की रेस में पहले स्थान पर बना हुआ था।

और जो भी देश पहले चंद्रमा के इस मुश्किल इलाके में पहुंचता, वह चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने वाला पहला देश बनता। रूस के “लूना-25” यान के क्रैश के बाद, भारत को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने का बड़ा मौका मिल गया है।

इस सफलता से ज्यादा, अब जिम्मेदारी है: दुनिया की आँखें भारत पर हैं। चंद्रयान-2 के बाद चंद्रयान-3 की सफलता से भारत एक महत्वपूर्ण स्पेस पावर के रूप में पहचान बनाएगा। भले ही चंद्रयान-2 मिशन सफल नहीं हुआ था, लेकिन इससे हमें बहुत कुछ सिखने को मिला।

चीन भी चांद की रेस में हुआ शामिल

अमेरिका और रूस के बाद चीन चंद्रमा पर जाने वाला तीसरा देश है। चीन ने 2019 में पहली बार चंद्रमा पर उतरने की कड़ी मेहनत की थी। चंद्रयान-3 की सफलता के साथ, भारत चंद्रमा पर पहुंचने वाला चौथा देश बन जाएगा। इस मिशन की सबसे बड़ी बात इसका कम बजट है, जिससे अन्य स्पेस एजेंसियों को भी हैरानी में पड़ी हुई है। चंद्रयान-3 मिशन के लिए कुल 615 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं, जो कि, अन्य अंतरिक्ष मिशनों की तुलना में, बहुत कम है।

“चंद्रयान-3” की प्रतिस्पर्धा

इसके साथ ही, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के “चंद्रयान-3” भी चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने की तैयारी में है। इसका लक्ष्य 23 अगस्त को चंद्रमा के सतह पर पहुंचना है। यहाँ पर वैज्ञानिकों की खास रुचि है क्योंकि वे चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के बारे में अध्ययन कर रहे हैं, जहाँ अंधेरा रहता है और पानी की संभावना है।

इस उपलब्धि के साथ, भारत स्वयं को एक महत्वपूर्ण स्पेस एक्सप्लोरेशन पावर के रूप में स्थापित कर सकता है।

लेखक: करन शर्मा