क्या 14 दिन बाद धरती पर वापस लौटेगा चंद्रयान 3?

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Image Source: ISRO

नई दिल्ली/डेस्क: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन इसरो (ISRO) के चंद्रयान-3 मिशन के तहत, चांद के दक्षिणी पोल पर सफल लैंडिंग के बाद, चंद्रयान-3 के प्रज्ञान रोवर ने अपने काम शरू कर दिया है। 6 व्हील और 26 किलोग्राम भारी प्रज्ञान रोवर, चंद्रमा की सतह पर भारत की उपस्थिति को गर्व से दर्शाता है।

14 दिन क्या करेंगे विक्रम और प्रज्ञान?

चंद्रयान-3 मिशन के तहत चंद्र के दक्षिणी पोल पर लैंड होने वाले लैंडर ‘विक्रम’ और उसके साथी रोवर ‘प्रज्ञान’ का कामकाज 14 दिन तक चलेगा। इस दौरान, ये चंद्रमा की सतह की रासायनिक संरचना, मिट्टी, चट्टानों की जांच करेंगे।

रोवर प्रज्ञान ध्रुवीय क्षेत्र के पास चंद्रमा की सतह के आयनों और इलेक्ट्रॉनों के घनत्व और थर्मल गुणों को मापेगा। इसके साथ ही, लैंडर ‘विक्रम’ के माध्यम से भी वैज्ञानिकों को महत्वपूर्ण तकनीकी जानकारियां और सूचनाएं मिलेंगी।

चांद का एक दिन पृथ्वी के 14 दिन के बराबर

चंद्रयान-3 मिशन के लैंडर और रोवर के कामकाज की अवधि 14 दिन की होगी क्योंकि चांद का एक दिन पृथ्वी के 14 दिन के बराबर होता है। इस दौरान, रोवर और लैंडर धूप के समय में ही काम कर सकते हैं।

क्या धरती पर वापस लौटेगा चंद्रयान 3?

‘प्रज्ञान’ एक विशेष उपकरण के साथ पानी और अन्य कीमती धातुओं की खोज करेगा और जमा किए गए डेटा को लैंडर ‘विक्रम’ के माध्यम से पृथ्वी तक पहुंचाएगा।

चंद्रयान-3 के लैंडर ‘विक्रम’ और रोवर ‘प्रज्ञान’ की यह क्षमता नहीं है कि वे एक बार चांद पर पहुंचने के बाद वापस आ सकें। यह मिशन उन्हें चंद्रमा पर ही बने रहने के लिए डिज़ाइन किया गया है।

कब हुआ लॉन्च?

चंद्रयान-3 का कुल वजन 3900 किलोग्राम है, जिसमें प्रोपल्शन मॉड्यूल का वजन 2148 किलोग्राम और लैंडर मॉड्यूल का वजन 1752 किलोग्राम है। इसके साथ ही, रोवर ‘प्रज्ञान’ का वजन 26 किलोग्राम है।

चंद्रयान-3 मिशन को श्रीहरिकोटा, आंध्र प्रदेश से 14 जुलाई को लॉन्च किया गया था। इसे चंद्रमा के साउथ पोल पर उतरने में कुल 41 दिन लगे।

लेखक: करन शर्मा