नई दिल्ली/डेस्क: लोकसभा में मंगलवार को महिला आरक्षण बिल पेश कर दिया गया. इस बिल के तहत महिलाओं के लिए लोकसभा और विधानसभा में 33 फीसदी सीटें आरक्षित रहेंगी. बिल के लिए विपक्षी दलों से भी समर्थन के सुर सुनाई पड़ रहे हैं. ऐसे में इसका संसद के दोनों सदनों से पास होना तय माना जा रहा है. बिल पेश होने के बाद अब इस बात की भी चर्चा शुरू हो गई है कि किन राजनीतिक दलों को सबसे ज्यादा फायदा होगा.
इस बिल को पास कराकर जहां बीजेपी महिलाओं यानी आधी आबादी का समर्थन हासिल करना चाहती है, वहीं विपक्षी इंडिया गठबंधन में भी दरार डालना चाहती है, क्योंकि इस बिल के प्रस्तावों के विरोध में लालू प्रसाद, नीतीश कुमार और अखिलेश यादव की पार्टी रही है. ये लोग महिला आरक्षण बिल में ओबीसी कैटगरी की महिलाओं के लिए भी उसी कोटे में आरक्षण देने की मांग करते रहे हैं.
फिलहाल लोकसभा में 543 सीटें हैं. 33 फीसदी आरक्षण मिलने के बाद 181 सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित हो जाएंगी. 2019 के आम चुनावों में इस संख्या से आधी से भी कम सीटों पर महिलाएं जीतकर संसद पहुंची थी, बता दें कि 2019 में कुल 78 महिलाएं ही लोकसभा में जीतकर पहुंची थीं. यह कुल सदस्यों का 14 फीसदी है, जो 1952 के बाद सबसे ज्यादा है. इससे पहले 2014 के चुनावों में 64 महिलाएं जीतकर संसद पहुंची थीं, जबकि 2009 में 52 महिलाएं चुनी गई थीं.
बिहार में लोकसभा की 40 सीटें हैं, लेकिन वहां से 10 फीसदी भी महिला सांसद मौजूदा लोकसभा में नहीं हैं. तो वहीँ 80 सीटों वाला उत्तर प्रदेश इस मामले में बिहार से आगे है. अब देखना होगा इस बार के चुनाव में कौन-सी पार्टी इस बिल से फ़ायदा उठाती है.
लेखक: इमरान अंसारी