भारत बजाएगा कनाडा का ढोल, जस्टिन ट्रूडो की खुलेगी पोल!

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नई दिल्ली/डेस्क: धीरे-धीरे ही सही, कनाडा भी पाकिस्तान की राह पर चल पड़ा है, लेकिन अगर आप सांप पालेंगे तो एक दिन वह आपको जरूर काटेगा। जिस तरह आज पाकिस्तान बर्बादी की कगार पर खड़ा है, उसी तरह आप देखना, बहुत जल्द कनाडा भी भीख मांगता नजर आएगा, और उन्हें कोई भीख भी न देगा।

क्योंकि इतिहास गवाह है कि जिसने भी आतंक के पिल्लों को पाला उस पर वक्त की ऐसी मार पड़ी कि उसका अस्तित्व ही खत्म हो गया। अब आप ही बताइए, उनकी विदेश मंत्री खुद कह रही हैं कि तथाकथित कनाडाई नागरिक की हत्या में भारतीय एजेंसियां शामिल हो सकती हैं।

अब इन दुष्टों को कोई समझाए कि शायद का मतलब शायद होता है। पहले खुद इस बात की पुष्टि कर लें कि आपके दोस्त की मौत में भारत का हाथ है और वैसे जो आतंकी पिल्ला मरा है वो कोई संत या महात्मा नहीं बल्कि खालिस्तान टाइगर फोर्स का चीफ था।

कनाडा को RAW से लगा डर

जो भी भारत के टुकड़े करने की सोचेगा उसका अंत भी ऐसे ही टुकड़ों में होगा। अब तक हरदीप सिंह निज्जर की मौत एक रहस्य बनी हुई है, लेकिन अच्छा है, आख़िरकार आप लोग RAW को इज़रायल की मोसाद (Mossad) की तरह देखने लगे हैं। ये डर बहुत अच्छा लगा, और ये डर ऐसे ही बना रहना चाहिए।

ऐसा कोई देश नहीं, जिसने इनके प्रधानमंत्री काअपमान नहीं किया है, चीन पहले ही उन्हें लताड़ चुका है और भारत उन्हें उनकी औकात से वाकिफ करा चुका है।

अपनी राजनीति चमकाने के लिए, जस्टिन ट्रूडो, आतंकवादियों को पाल रहे हैं, और जो प्रामाणिक कनाडाई नागरिक हैं, उन्हें इसका खामियाजा भुगतना पड़ रहा है। दुनिया भारत के साथ मुक्त व्यापार समझौते के लिए बेचैन है और इनसे आतंकवादी पिल्लों का भी मोह नहीं छूट रहा।

भारत देगा करारा जवाब

चाहे हमारे राजनयिक हों या पूजा स्थल, उन्हें सुरक्षित करने के बजाय, ट्रूडो बेकार के तर्क-वितर्क में लगे हुए हैं, क्योंकि इन्होने मन बना लिया है कि अगर कनाडा के चुनावों जितना है, तो खालिस्तानी आतंकवादियों का समर्थन करना होगा। दरअसल, नीचता की भी अपनी सीमाएं होती हैं। और मिस्टर ट्रूडू, हम भी देखेंगे कि आप कब तक इस नीचता पर अड़े रहेंगे।

लेकिन अगर अब हमारे वाणिज्य दूतावास या दूतावास पर हमला हुआ, तो भारत को भी बिना देर किए जवाब देना होगा, पत्थरों से नहीं, पहाड़ों से। जब भी कनाडा में ऐसा हो तो बिना देर किए उन्हें अपनी दवा का स्वाद चखने दीजिए. उनके वाणिज्य दूतावासों और दूतावासों को एक पल के लिए भी नहीं बख्शा जाना चाहिए ताकि यह संदेश पूरी दुनिया में जाए।

अगर तुम हमें छेड़ोगे तो हम तुम्हें नहीं छोड़ेंगे. क्योंकि कोई भी कूटनीति भारत से बड़ी नहीं हो सकती. और अगर कोई भारत की एकता और अखंडता के खिलाफ खड़ा होगा तो उसे तुरंत घुटनों पर ला दिया जाएगा।

लेखक: करन शर्मा