नई दिल्ली/डेस्क: जब किसी का बुरा वक्त आता है तो सबसे पहले उसकी बुद्धि कुंठित हो जाती है, जस्टिन ट्रूडो के साथ भी कुछ ऐसा ही हो रहा है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि 50 साल पहले, जस्टिन के पिता पियरे ट्रूडो की इंदिरा गांधी ने खाट खड़ी कर दी थी।’
कनाडा में खालिस्तान की मांग कोई नई बात नहीं है, यह मांग 60 के दशक में उठने लगी थी, जब सिख धीरे-धीरे भारत से कनाडा जाने लगे। वहीं 70 के दशक में भारत में अलग खालिस्तान देश की मांग को लेकर आंदोलन शुरू हो गया था।
वहीं धीरे-धीरे साल 1970 तक सिखों की एक बड़ी आबादी कनाडा में बस गई थी। इस दौरान भारत सरकार ने कनाडा से कैनेडियन ड्यूटेरियम यूरेनियम रिएक्टर यानी CANDU रिएक्टर आयात किया। इस रिएक्टर को शांतिपूर्ण परमाणु ऊर्जा प्राप्त करने के लिए मांगा गया था। बाद में यही मशीन दोनों देशों के बीच कड़वाहट का कारण बन गई।
इस मशीन ने 50 साल पहले भी खराब किए थे रिश्तें
लेकिन एक मशीन दो देशों के रिश्ते कैसे खराब कर सकती है? आपको याद होगा 1974 में भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की सरकार ने राजस्थान के पोखरण में परमाणु परीक्षण किया था।
जिसके बाद कनाडा के पूर्व प्रधानमंत्री पियरे ट्रूडो काफी नाराज हो गए। उन्होंने आरोप लगाया कि भारत ने परीक्षण के लिए कनाडा के ड्यूटेरियम यूरेनियम रिएक्टर का इस्तेमाल किया था।
भारत ने यह रिएक्टर आपसी सहायता के लिए मांगा था, लेकिन इसका इस्तेमाल सैन्य उद्देश्यों के लिए किया गया, जिसके बाद पियरे ट्रूडो ने इसे विश्वासघात माना। इसके बाद भारत और कनाडा के रिश्ते ख़राब होने लगे।
पोखरण परमाणु परीक्षण के बाद कनाडा ने भारत के साथ किसी भी तरह के परमाणु संबंधों पर रोक लगा दी थ। लेकिन समय के साथ भारत ने अमेरिका, फ्रांस और रूस सहित सात देशों के साथ परमाणु सहयोग समझौते किये।
इंदिरा के बाद अटल बिहारी ने भी बिना किसी से डरे परमाणु परीक्षण किया, जिसके बाद कनाडा ने अपना प्रतिबंध बरकरार रखा, लेकिन भारत नहीं झुका और आखिरकार 36 साल बाद यह प्रतिबंध खत्म हुआ, जब 2010 में कनाडा ने भारत के साथ परमाणु सहयोग समझौते को फिर से नवीनीकृत किया।
लेखक: करन शर्मा