नई दिल्ली/डेस्क: BJP ने अपनी दूसरी लिस्ट जारी कर दी है. जिसमें BJP ने अपने 7 सांसदो को मैदान में उतारकर सबको हैरान कर दिया, अब एसा क्यों किया गया? BJP ने मानो अपना मन बना लिया है कि इस बार शिवराज को CM नहीं बनाया जाएगा, दरअसल बीजेपी ने तीन केंद्रीय मंत्रियों के अलावा चार सांसदों को भी चुनाव मैदान में उतारा है।
बीजेपी ने इन दिग्गज नेताओं को इसलिए उतरा है ताकि जिन सीटों पर बीजेपी को पिछली बार सबसे ज्यादा नुकसान झेलना पड़ा, वहा अपनी पकड़ बना सके, साथ ही शिवराज पर अमित शाह ने एक प्रेस कांफ्रेंस के दौरान ये क्लियर कर दिया था की मुख्यमंत्री चुनने का फैसला बीजेपी करेगी।
इसके साथ ही कई बड़े नामों को एक साथ मैदान में उतारकर भाजपा ने मुख्यमंत्री पद के लिए मुकाबला एकदम खुला कर दिया है।
क्षेत्रीय सीटें होंगी मजबूत
तोमर, विजयवर्गीय, और पटेल जैसे पुराने नेताओं के चुनाव लड़ने से भाजपा को तय सीटों के अलावा आसपास के क्षेत्रों में भी पकड़ मजबूत करने मौका मिलेगा. नरेंद्र सिंह तोमर ठाकुर हैं और ग्वालियर चंबल बेल्ट के कद्दावर नेता हैं।
प्रह्लाद सिंह पटेल मप्र के बडे ओबीसी नेता है, जो लोधी राजपूत समुदाय से आते हैं। इनके चुनाव लड़ने से आस-पास कि लगभग एक दर्जन सीटों पर असर पड़ेगा।
मध्य प्रदेश की 47 विधानसभा सीटें आदिवासियों के लिए आऱक्षित हैं और 100 से ज्यादा सीटों पर आदिवासी वोटर हार-जीत का फैसला करते हैं।
इसी को ध्यान में रखते हुए, फग्गन सिंह कुलस्ते और गणेश सिंह पर बज्जप ने भरोसा जताया है क्योंकि ये दोनों नेता भी एक आदिवासी नेता हैं जिनकी अपने समाज में अच्छी पकड़ है, जिसकी बदौलत वह कमजोर सीटों पर जीत का परचम लहराने में कारगर साबित होंगे।
परिवारवाद के मुद्दे को किया खत्म
इसके अलावा इनमें से 5 नेता, जैसे की विजयवर्गीय, तोमर, पटेल, राकेश और गणेश अपने बेटे या रिश्तेदारों के लिए दावेदारी कर रहे थे. ऐसे में जो पार्टी परिवारवाद को मुद्दा बनाकर सत्ता में आई हो, उसपर जब खुद परिवारवादी होने के आरोप लगेंगे, तो चुनावों में इसका नुकसान तो भुगतना ही पड़ेगा।
लेकिन बीजेपी ने इन नेताओं बेटे या रिश्तेदारों की जगह इन्हीं नेताओं को ही उम्मीदवार बना दिया। लेकिन सबके बाद भी, MP का चुनाव एक तरफा नहीं होगा, इस बारी यहां आपको कांटे की टक्कर देखने को मिलेगी।
लेखक: करन शर्मा