नई दिल्ली/डेस्क: आम जनता के लिए खतरा बढ़ गया है, खासकर उन फिलिस्तीनी लोगों के लिए जो गाजा में रहते हैं। इस्राएल ने हमास के सैनिकों को बाहर निकाल दिया है, जिन्होंने उनकी भूमि पर घुसबैठ किया था, लेकिन अब गाजा में बम बरसाए जा रहे हैं और लग रहा है कि इस्राएल-हमास के रिश्तें अभी भी तटस्थ नहीं है।
इस्राएली वायुसेना ने अब तक गाजा में 6000 बम गिराए हैं। गाजा दुनिया का सबसे घने आबादी वाला क्षेत्र है, जो 40 किमी के दायरे में फैला हुआ है। यह इलाका 23 लाख लोगों का घर है और हमास 2007 से यहां अपनी सरकार चला रहा है। इस संघर्ष में अब तक 1900 फिलिस्तीनी मर चुके हैं। इसके परिणामस्वरूप, यह सवाल उठ रहा है कि इस क्षेत्र में शांति कब आएगी और कौन से देश संवाद का माध्यम बना सकते हैं।
खाड़ी देशों की भूमिका
एक रिपोर्ट के अनुसार, मध्य पूर्व में इस बारे में चिंता है कि युद्ध के कारण बाकी देश भी प्रभावित हो सकते हैं। खाड़ी देशों को लगता है कि हिंसा से उनकी आंतरिक सुरक्षा भी खतरे में हो सकती है। इस संघर्ष के परिणामस्वरूप, फिलिस्तीनी लोग इस्राएल छोड़कर जॉर्डन, मिस्र, लेबनान, और यहां तक कि ईरान की ओर भी जा सकते हैं।
इस्राएल-हमास संघर्ष के मध्यस्थता के लिए अमेरिका, यूरोपीय देश, रूस, और चीन आगे आए हैं, लेकिन मध्यस्थता की जिम्मेदारी खाड़ी देशों की होनी चाहिए। इसके लिए अमेरिका, चीन जैसे देशों का सहयोग महत्वपूर्ण है, लेकिन शांति के लिए नेतृत्व खाड़ी देशों को करना चाहिए। चीन ने पहले ही सऊदी अरब और ईरान के बीच बातचीत कराई है और अब वह इस विवाद में भी मदद करना चाहता है, हालांकि हमास के साथ बातचीत करना कठिन हो सकता है।
कौन करवा सकते है मध्यस्थता?
मध्यस्थता के लिए सबसे पहला नाम मिस्र का है, लेकिन वह थोड़ा अनिच्छुक नजर आ रहा है। मिस्र ने मानवीय कॉरिडोर बनाने की बात कही है, जो गाजा में मदद कर सकता है, लेकिन वह चाहता नहीं कि गाजा से लोग उनके यहां आएं। क्योंकि मिस्र को फिलिस्तीनी शरणार्थियों का डर बना हुआ है। मिस्र को हमास से भी खतरा है।
जॉर्डन वो दूसरा नाम है, जो पहले भी फिलिस्तीनी लोगों के हक की बात कर चुका है। वह फिलिस्तीनी लोगों के हितैषी भी माना जाता है, क्योंकि उन्होंने हाल ही में गाजा के लिए 4 मिलियन यूरो का दान दिया है। इसलिए जॉर्डन इज्राएल-हमास के बीच मध्यस्थता करवा सकता है।
कतर भी इस संघर्ष के मध्यस्थता के लिए उम्मीदवार है, क्योंकि हमास के साथ उसके अच्छे संबंध हैं और कतर ने पहले भी इजरायल और हमास के बीच मध्यस्थता करवाने में मदद की है। वह ईरान और अमेरिका के बीच भी चर्चा करवाने का काम कर चुका है।
लेखक: करन शर्मा