दो गहरे तालाब के बीच देवी का स्थान, जानिए पूरी कहानी?

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उत्तर प्रदेश: शारदीय नवरात्र के पहले दिन आज कुशीनगर के विभिन्न प्रसिद्ध देवी मंदिरों में आस्था का सैलाब देखने को मिला है, कुशीनगर के ग्रामीण क्षेत्र में जंगल से होकर पानी के बीचों बीच मंझरिया देवी के मंदिर पहुंचकर दर्शन करते है.

कुशीनगर के ग्रामीण क्षेत्र में कई ऐसे प्रसिद्ध मंदिर है, जिनका इतिहास और मान्यताएं बेहद खास है. आज आपको कुशीनगर के हाटा तहसील क्षेत्र के ग्रामसभा रामपुर सोहरौना में स्थित जंगल और दो तरफ से गहरे तालाब है. जिसे माता मंझरिया देवी के नाम से जाना जाता है. ऐसे में देवी के इस मंदिर में दूर-दूर से आने वाले श्रद्धालुओं की समस्त मन्नतें भी पूरी होती हैं. इस मंदिर के इतिहास व मान्यताएं की बात करें, तो नेपाल के रहने वाले थारूपंडितों की यहां राजधानी थी. उनके पास काफी धन था.

एक बार धन के प्रलोभन में अंग्रेज शासक ने चढ़ाई कर दी. दोनों में घनघोर युद्ध हुआ, जिसमें थारूपंडित के दो पुत्र कैलेसर व फुलेसर युद्ध में मारे गए. इसी रास्ते दरिया बह रही थी. जो मां के स्थान के एक तरफ उत्तर व दक्षिण कुंड हुआ करता था. जो वर्तमान में कैलेसर व फुलेसर नाम के तालाब के रूप में मौजूद है. नेपाली पंडित राजा देखे कि हम युद्ध से पार नहीं पाएंगे, तो वे अपने धन पर अपनी पुत्री को बैठाकर दीप प्रज्ज्वलित कर वहां से चल दिये. जिसका परम उद्देश्य था कि जब तक दीप जलेगा तब तक पुत्री जीवित रहेगी और वह नेपाली पंडित राजा वहां से नेपाल की तरफ प्रस्थान कर गए.

बाद में दीपक बुझ गया और लड़की मर गई. जो वर्तमान समय में मां के मंदिर के पश्चिम में देई माता के नाम से विराजमान हैं. तभी से यह स्थान लोगों में आस्था का प्रतीक है.

लेखक: इमरान अंसारी