भारत के खिलाफ कनाडा के समर्थन में कूदा न्यूजीलैंड

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नई दिल्ली/डेस्क: न्यूजीलैंड ने भारत के साथ चल रहे राजनायिक विवाद में कनाडा का साथ देने का ऐलान किया है। पहले, न्यूजीलैंड ने इस विवाद में कनाडा का समर्थन नहीं किया था, लेकिन अब उन्होंने भी भारत के साथ हो रहे राजनायिक मुद्दे पर कनाडा के साथ खड़े होने का फैसला किया है।

न्यूजीलैंड के विदेश कार्यालय ने एक बयान में जताया कि अब राजनीतिक मुद्दों में ज्यादा कूटनीति का समय आ गया है। उन्होंने व्यक्त किया कि उन्हें चिंता है कि भारत ने कनाडा से अपने दूतावास कम करने की मांग की है, जिसके कारण बड़ी संख्या में कनाडाई राजनयिक भारत से वापस लौट गए हैं। इस संकेत से लगता है कि अब सिर्फ कम नहीं, बल्कि अधिक रूप से राजनीतिक कूटनीति का वक्त आ गया है।

क्या बोला न्यूजीलैंड?

न्यूजीलैंड ने कहा कि “हम उम्मीद करते हैं कि सभी देश वियना कन्वेंशन 1961 के तहत राजनयिक संबंधों के मामले में अपने दायित्वों का पालन करेंगे, जिसमें मान्यता प्राप्त कर्मचारियों के विशेषाधिकार और प्रतिरक्षा भी शामिल है।” यह एक असामान्य बयान है, क्योंकि न्यूजीलैंड आमतौर पर इस प्रकार की टिप्पणी नहीं करता है। साथ ही, न्यूजीलैंड ने खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के संबंध में भारत पर लगाए गए आरोपों पर भी शांति बनाए रखी थी।

क्या है “फाइव आइज”?

“फाइव आइज” के पांच देशों में से तीन देश (कनाडा, अमेरिका, और ब्रिटेन) भारतीय खुफिया सेवाओं (Indian intelligence services) और (NSA) एनएसए अजीत डोभाल को कठघरे में खड़ा करने की कोशिश कर रहे थे। हालांकि दो अन्य देश (न्यज़ीलैंड और ऑस्ट्रेलिया) ने इससे इनकार किया है। ऑस्ट्रेलिया और न्यूज़ीलैंड को लगता है कि इस मुद्दे पर बार-बार सार्वजनिक बयान देने से कोई अन्य उद्देश्य पूरा नहीं होगा।

फाइव आइज एक खुफिया गठबंधन है, जिसमें ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, न्यूजीलैंड, यूनाइटेड किंगडम और अमेरिका शामिल हैं। ये देश सिग्नल इंटेलिजेंस में संयुक्त सहयोग के लिए बहुपक्षीय यूके-यूएसए समझौते के पक्षकार हैं। इससे ये देश एक दूसरे के साथ खुफिया सूचनाएं और जानकारी साझा करने के लिए जुटे हुए हैं, और इसे दुनिया का सबसे व्यापक निगरानी नेटवर्क माना जाता है।

अमेरिका के बने गुलाम

कुछ दिनों तक चुप रहने के बाद, पिछले हफ्ते अमेरिका में फाइव आइज के खुफिया प्रमुखों की बैठक के बाद, न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया भी भारत की आलोचना करने में शामिल हो गए। इस बैठक के दौरान, जिसमें चीन की आलोचना करने की भी बात हुई, न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया से भारत-कनाडा विवाद पर भी चर्चा करने का आदेश दिया गया था।

ब्रिटेन और अमेरिका कनाडा के साथ

पहले ही ब्रिटेन और अमेरिका ने कनाडा के 41 राजनयिकों के भारत से वापस जाने पर चिंता व्यक्त कर चुके है। ब्रिटेन ने यह बताया कि वे भारत सरकार के उन फैसलों को अस्वीकार करते हैं, जिनका संदर्भ एक सिख अलगाववादी की हत्या से जुड़ा है और जिनकी वजह से भारत और कनाडा के बीच विवाद उत्पन्न हुआ है।

नई दिल्ली में, विदेश मंत्रालय ने निज्जर के मौत के मामले में भारतीय एजेंट के शामिल होने के आरोपों को पूरी तरह से खारिज कर दिया है और राजनयिकों की वापसी के संबंध में व्यापक तरीके से वियना संधि के मानदंडों के खिलाफ किसी भी उल्लंघन का खण्डन किया है। विदेश मंत्रायलय ने कहा, ‘‘हम समानता के कार्यान्वयन को अंतरराष्ट्रीय मानदंडों के उल्लंघन के रूप में पेश करने के किसी भी प्रयास को खारिज करते हैं।’’

लेखक: करन शर्मा