Snoring Treatment: सोते हुए खर्राटे (Snoring) लेना एक ऐसी समस्या है, जिससे आज हर दूसरा व्यक्ति प्रभावित है। इसका सबसे ज्यादा असर हमरे साथ रहने वालों पर दिखता है। क्योंकि जब आप नींद में होते हैं तो आपके खर्राटे किसी की भी नींद उड़ा देते हैं। कई बार तो कुछ लोगों को अपने खर्राटों की बजह से शर्मिंदगी भी उठानी पड़ सकती है। लेकिन कई बार यह समस्या इससे भी आगे जाकर आपके लिए गंभीर हो सकती है। खर्राटे आना कई बार गंभीर बीमारियों का संकेत भी होता है।
नाक ही नहीं है इस समस्या का मुख्य कारण
हेल्थ एक्सपर्ट की मानें तो, नाक के अंदर किसी भी तरह के डिसऑर्डर की वजह से खर्राटे आते है। लेकिन हम इस समस्या को सिर्फ नाक से ही जोड़कर देखते हैं। आपको बता दें कि नाक के साथ सिर, मुंह, दांत, कान और आंख भी जुड़े होते हैं। खर्राटों की समस्या नाक से ही नहीं इस सभी अंगों से भी हो सकती है।
इन चीजों से परहेज कर रोक सकते हैं खर्राटे
अगर आप इस समस्या से छुटकारा पाना चाहते हैं तो, आपको आपने लाइफस्टाइल यानी आपनी जीवन शैली में कुछ परिवर्तन लाने होंगे। वैसे तो आयुर्वेद में खर्राटों को रामबाण इलाज है। लेकिन फिर भी शराब से परहेज कर आप अपने खर्राटों को रोक सकते हैं।
इस एक नुख्से बंद हो जाएंगे आपके खर्राटे
शास्त्र कहते हैं कि, ‘नासा ही शिरसो द्वारं’ जिसका अर्थ है नाक मस्तिष्क का प्रवेश द्वार है। अगर किसी को खर्राटे आते हैं तो गाय के घी का इस्तेमाल रामबाण हो सकता है। जो आपके सिर, मुंह, दांत, कान, नाक, आंख ही नहीं बल्कि संपूर्ण सेहत से संबंधित सभी तरह के डिसऑर्डर में मदद आपकी मदद करेगा।
यदि इसकी दो बूंदों को आप अपने नथुने में डालते हैं तो इससे नींद अच्छी आती है। सिरदर्द से राहत मिलती है, इम्यूनिटी स्ट्रॉन्ग होती है, एलर्जी की समस्या कम होती है, याददाश्त मजबूत होता है, मानसिक स्वास्थ्य सुधरता है और खर्राटे दूर होते हैं। यदि आप 21 दिनों से 3 महीने तक लगातार ऐसा करते हैं तो, आप अपने खर्राटों से छुटकारा पा सकते हैं
गाय के घी की जगह इस तेल का भी कर सकते हैं इस्तेमाल
आयुर्वेद में यह भी बताया गया है कि अगर ऐसा कोई जिसे खर्राटे की समस्या है, वह गाय के घी का इस्तेमाल नहीं करना चाहता है तो उसकी बजाय अणु तेल का इस्तेमाल काफी कारगर होता है। यह एक आयुर्वेदिक तेल है, जिसे नस्य थेरेपी में इस्तेमाल किया जाता है।