राजस्थान: राजस्थान में विधानसभा चुनाव को लेकर सभी पार्टियों की तरफ से बिसात बिछाई जा चुकी है. एक तरफ भारतीय जनता पार्टी अपने उम्मीदवारों के जरिए ब्राह्मण और राजपूत समुदाय को साधना चाहती है. तो वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस भी जाट और आदिवासी समाज को साधकर दोबारा सत्ता हासिल करना चाहती है. राजस्थान में 25 नवंबर को वोटिंग होगी और 3 दिसंबर को रिजल्ट आएगा.
कांग्रेस की रणनीति
राजस्थान विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने अपने उम्मीदवारों के जरिए सोशल इंजीनियरिंग बनाने की कवायद की है. कांग्रेस उम्मीदवारों की लिस्ट देंखें तो पार्टी ने सबसे ज्यादा जाट समुदाय के प्रत्याशी उतारे हैं. पार्टी ने 36 जाट समुदाय को टिकट दिया तो 11 गुर्जर समुदाय के प्रत्याशी उतारे हैं. इस तरह से जाट और गुर्जर समुदाय से 42 प्रत्याशी दिए हैं. इसके अलावा कांग्रेस ने भी बीजेपी के बराबर ही 11 वैश्य समुदाय को कैंडिडेट बनाया है. राजस्थान के मौजूदा मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने नामांकन भरने से पहले अपने ‘लकी चार्म’ का उपयोग किया. यह लकी चार्म उनकी बड़ी बहन विमला देवी है.
जिनको गहलोत अपने लिए बेहद भाग्यशाली मानते हैं. अपनी बड़ी बहन का आशीर्वाद लिए बगैर गहलोत कभी भी नामांकन नहीं भरते और इस बार भी गहलोत ने ऐसा ही किया.
BJP की नई चाल!
राजस्थान में बीजेपी ने अपने उम्मीदवारों के जरिए एक मजबूत सियासी समीकरण बनाने की रणनीति अपनाई है. बीजेपी के 200 उम्मीदवारों की फेहरिश्त देखें तो 25 सीटों पर राजपूत समुदाय के कैंडिडेट उतारे गए हैं तो 20 सीटों पर ब्राह्मण समुदाय को टिकट दिया गया है. सवर्ण मतदाता बीजेपी का परंपरागत मतदाता माना जाता है, जिसके चलते ही पार्टी ने 25 फीसदी टिकट सिर्फ रातपूत और ब्राह्मण समुदाय को दिए हैं. इसके अलावा पार्टी ने 11 सीटों पर वैश्य समुदाय से कैंडिडेट उतारे हैं.
लेखक: इमरान अंसारी