कानपुर/उत्तर प्रदेश: कानपुर देहात के एक प्राइमरी स्कूल के हेडमास्टर की मंगलवार रात पालतू बिल्ली के काटने से रेबीज के कारण मौत हो गई। इससे एक सप्ताह पहले उनके जवान बेटे की मौत हो गयी थी। दो माह पहले उनकी पालतू बिल्ली को पागल कुत्ते ने काट लिया था।
कुछ दिनों के बाद, वह हिंसक हो गई और हेडमास्टर और उसके बेटे को काट लिया और उसकी पत्नी और बेटी को पंजे मार दिए। परिवार को एंटी-रेबीज वैक्सीन लगवाने के बजाय सिर्फ टिटनेस के इंजेक्शन लगवाए गए। हालांकि, हेडमास्टर की पत्नी ने मौत का कारण दिल का दौरा बताया है।
पहले हुई बेटे की मौत
अशोक नगर के 58 वर्षीय इम्तियाजुद्दीन निबौली प्राथमिक विद्यालय में प्रधानाध्यापक थे। मंगलवार रात सैफई में उनकी मौत हो गई और करीब एक हफ्ते पहले उनके 25 साल के बेटे अजीम उर्फ अज्जू की तबीयत बिगड़ने पर भोपाल में मौत हो गई।
घर के लोगों समेत पड़ोसियों ने बताया कि करीब दो माह पहले उनकी पालतू बिल्ली को पागल कुत्ते ने काट लिया था। उसका इलाज किया गया, लेकिन वह रेबीज से संक्रमित हो गई और मर गई। पालतू बिल्ली ने इम्तियाजुद्दीन और अजीम को काटने के साथ-साथ इम्तियाजुद्दीन की पत्नी नौशाद और बेटी को भी पंजे मार दिए। परिवार को हाल ही में टिटनेस का इंजेक्शन मिला था।
दो माह बाद टीका मिला है
अजीम की मौत के बाद 24 नवंबर को परिजन जिला अस्पताल पहुंचे और एंटी रेबीज वैक्सीन लगवाई। जो टीका 24 से 48 घंटों के भीतर लग जाना चाहिए था, उसे लगने में दो महीने लग गए। पड़ोसियों के मुताबिक कुत्ते के काटने के कुछ दिन बाद बिल्ली की भी मौत हो गई। तबीयत बिगड़ने से पहले इम्तियाजुद्दीन को पानी से डर लगने लगा था। पत्नी नौशाद और परिवार के सदस्यों ने रेबीज से संक्रमित होने से इनकार किया और मौत का कारण दिल का दौरा बताया।
कई वर्षों तक जिंदा रहता है रेबीज का वायरस
मुख्य पशु चिकित्साधिकारी डा.सुबोध ने बताया कि रेबीज संक्रमण खतरनाक है। संक्रमित जानवर के काटने के 24 से 48 घंटे के अंदर टीका न लगवाने पर खतरा रहता है। इस वायरस के लक्षण कई महीनों और सालों बाद भी सामने आते हैं और संक्रमित व्यक्ति की जान चली जाती है।