दशहरा पर लगती है खास अदालत और सीएम योगी देते हैं साधु-संतों को दंड, पढ़िए पूरी कहानी

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दशहरा पर लगती है खास अदालत और CM योगी देते हैं साधु-संतों को दंड, पढिए पूरी कहानी

नई दिल्ली। गोरखपुर के गोरखनाथ मंदिर में दुर्गापूजा के बाद विजयदशमी के दिन साधु संतों की अदालत बैठती है. जिसमें साधु संतों के विवादों का निपटारा किया जाता है और उनके द्वारा किए गए अपराधों के लिए सजा दी जाती है. पिछले कई सालों से चली आ रही इस परंपरा के निर्वहन के लिए पिछले 10 सालों से CM योगी आदित्यनाथ इसमें दंडाधिकारी की भूमिका निभाते है. मंदिर के इस पुरानी परंपरा के पीछे क्या वजह है? और मुख्यमंत्री योगी इस अदालत में दंडाधिकारी की भूमिका क्यों निभाते हैं इसके पीछे एक खास वजह है.

विजय दशमी के अवसर पर आयोजित होता है कार्यक्रम

विजय दशमी के अवसर पर आयोजित इस परंपरा के पीछे नाथ संप्रदाय के साधु संतों का खास महत्व है. इस दिन इस संप्रदाय के लोग बड़े जुलूस का आयोजन करते है. संप्रदाय के लोग इस दिन साल भर के विवादों का निपटारा करते है. इसके लिए वो अदालत का आयोजन करते है.

योगी आदित्यनाथ निभाते हैं दंडाधिकारी की भूमिका

अखिल भारतवर्षीय अवधूत भेष बारह पंथ योगी महासभा की स्थापना महंत दिग्विजयनाथ महाराज ने 1939 में की गई थी. जिसके बाद से वो वह आजीवन इसके राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे. उनके बाद दिग्विजयनाथ महाराज के ब्रह्मलीन होने के बाद 1969 में महंत अवैद्यनाथ जी महाराज इसके अध्यक्ष चुने गए. अवैद्यनाथ के समाधि लेने के बाद 25 सितंबर, 2014 को गोरक्षापीठाधीश्वर द्वारा महंत योगी आदित्यनाथ को निर्विरोध अध्यक्ष चुना गया. इस संस्था के अध्यक्ष होने के नाते हर साल साधु-संतों की अदालत में दंडाधिकारी की भूमिका मुख्यमंत्री निभाते है.

-गौतम कुमार