वाराणसी/उत्तर प्रदेश: वाराणसी कोर्ट ने ज्ञानवापी के व्यासजी के तहखाने में पूजा-पाठ की अनुमति देने के फैसले के बाद, परिसर के तय खाने में परंपरागत आरती और भोग का आयोजन शुरू हो गया है। इस आराधना के दौरान मंगला आरती से लेकर रात की शयन आरती तक कई कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है। ज्ञानवापी के व्यासजी के तहखाने में हुई मंगला आरती की खबरों के बाद हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन ने बताया कि इसे संपूर्ण सामाजिक सांस्कृतिक माहौल में स्वागत किया गया है।
आरती और पूजा के आयोजन का समय-सारणी इस प्रकार है…
- मंगला आरती: सुबह 3:30 बजे
- भगवान गणेश और लक्ष्मी को भोग लगाना: दोपहर 12 बजे
- शाम की आरती: शाम 4 बजे, 7 बजे
- रात की शयन आरती: साढ़े 10 बजे
ज्ञानवापी पर मुस्लिम संगठनों की दिल्ली में बैठक
जैन ने बताया कि हर दिन 5 आरतियां होंगी और उनमें सम्पूर्ण समुद्र मंथन से जुड़े महत्वपूर्ण घटनाओं का विवेचन किया जाएगा। इस बीच, वाराणसी अदालत के फैसले के खिलाफ इंतेजामिया कमेटी ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है, ऐसा माना जा रहा है कि इस विवाद को लेकर नए मोड़ आ सकते हैं। क्योंकि दिल्ली में मुस्लिम संगठनों की बैठख हो रही है। इस स्थिति में स्थानीय लोगों और सामाजिक संगठनों के बीच राजनीतिक और सांस्कृतिक चर्चाओं पर भी संभावनाएं बन सकती हैं।
व्यासजी के तहखाने में पूजा-पाठ की अनुमति, सर्वें रिपोर्ट प्रस्तुत
ज्ञानवापी के व्यासजी के तहखाने में पूजा-पाठ की अनुमति मिलने के बाद, इस पूजा का आयोजन शुरू हो गया है। इस परंपरागत आरती और पूजा पाठ के दौरान, मंगला आरती से लेकर रात्रि की शयन आरती तक कई कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है। इसके साथ ही, वाराणसी अदालत के फैसले के खिलाफ इंतेजामिया कमेटी ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है, जिससे विवाद को लेकर नए मोड़ आ सकते हैं।
पूजा-पाठ की अनुमति का पूरा इतिहास
- 1551: व्यास पीठ स्थापित, मां शृंगार गौरी की पूजा होती रहती है।
- 1993: राज्य सरकार और जिला प्रशासन के मौखिक आदेश के बाद पूजा-पाठ और परंपराएं बंद हो जाती हैं। तहखाने के चारों ओर बैरिकेडिंग भी कर दी जाती है।
- 1996: आदिविश्वेश्वर बनाम राज्य सरकार में नियुक्त अधिवक्ता की रिपोर्ट में एक ताले की दो चाबी का जिक्र किया जाता है, और व्यास पीठ के पुजारी पंडित सोमनाथ व्यास द्वारा ताला खोला जाता है।
- 2021:सीनियर डिवीजन फास्ट ट्रैक कोर्ट से ज्ञानवापी मस्जिद के पुरातात्विक सर्वेक्षण की मंजूरी मिलती है। सर्वे की प्रक्रिया शुरू होती है।
- 2024: जनवरी 2024 में जिला जज की अदालत ने बुधवार को फैसला सुनाया, जिसमें सर्वें रिपोर्ट के आधार पर पूजा-पाठ की इजाजत दी जाती है।
मस्जिद के सर्वे में कानूनी संघर्ष
- 1991: वाराणसी कोर्ट में पहला मुकदमा दाखिल होता है, परंपरागत पूजा की अनुमति के लिए याचिका दाखिल की जाती है।
- 1993: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने स्टे लगाकर स्थिति को कायम रखने का आदेश दिया।
- 2018: सुप्रीम कोर्ट ने 15 अगस्त 1947 के पहले के पूजा स्थलों को बदलने के खिलाफ कानून बनाया।
- 2019: वाराणसी कोर्ट में मामले की सुनवाई शुरू होती है।
- 2021: सीनियर डिवीजन फास्ट ट्रैक कोर्ट से सर्वेक्षण की मंजूरी मिलती है।
- 2024: जनवरी 2024 में जिला जज की अदालत ने सर्वें रिपोर्ट के आधार पर पूजा-पाठ की इजाजत देने का फैसला किया है।
व्यासजी के तहखाने की बंदिश
पूर्व में ज्ञानवापी के मस्जिद के स्थित नंदी के मुख के सामने, दक्षिणी दीवार के पास स्थित तहखाने में वर्ष 1551 से व्यास पीठ स्थापित रहा था। यहां पर मां शृंगार गौरी की पूजा, भोग, और आरती होती रहती थी। साल 1993 में राज्य सरकार और जिला प्रशासन के मौखिक आदेश के जरिए, इस पूजा-पाठ और परंपराओं को बंद करने का निर्णय लिया गया। इसके साथ ही ज्ञानवापी परिसर के चारों ओर लोहे की बैरिकेडिंग भी की गई। और इसके बाद दिसंबर 1993 में तत्कालीन जिलाधिकारी ने व्यास पीठ के पुजारी पंडित सोमनाथ व्यास के प्रवेश पर प्रतिबंध लगाया और पूजा-पाठ पर रोक लगा दी। तहखाने में ताला भी लगा दिया गया।
अगर बंदिश के कारणओं के बारे में बात करें, तो राज्य सरकार के आदेश के अनुसार, इसे बंद करने का कारण पूजा-पाठ और परंपराएं विवादास्पद थे, जिसके चलते तत्कालीन जिलाधिकारी ने प्रतिबंध लगाया।