आखिर क्या है टैक्टिकल न्यूक्लियर वेपन ? क्यों इसके इस्तेमाल होने से मचा है दुनिया भर में कोहराम, पढ़ें पूरी खबर !

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Russia: रूस और यूक्रेन के बीच जारी महायुद्ध के बीच अब टैक्टिकल न्यूक्लियर हथियारों के इस्तेमाल की आशंका ने पूरी दुनिया में खलबली मचा दी है। सबसे बड़ा सवाल ये है कि आखिर ये टैक्टिकल न्यूक्लियर वेपन हैं क्या? ऐसे हथियार किन-किन देशों के पास हैं और यह परमाणु हथियारों से किस तरह से अलग हैं? सवाल ये है कि किसी युद्ध में इनका इस्तेमाल हुआ तो उससे कितनी बड़ी तबाही मच सकती है। रूस ने आखिर क्यों यूक्रेन के बॉर्डर पर दर्जनों टैक्टिकल न्यूक्लियर वेपन की तैनाती कर दी है? क्या रूसी राष्ट्रपति पुतिन वाकई इन हथियारों का इस्तेमाल रूस पर कर ही बैठेंगे?

क्या परमाणु हथियारों से भिन्न होते हैं टैक्टिकल न्यूक्लियर वेपन

टैक्टिकल न्यूक्लियर वेपन परमाणु हथियारों से बिलकुल अलग होते हैं। यह परमाणु हथियारों से काफी छोटे होते हैं। इन हथियारों को युद्ध के मैदान में उपयोग करने के लिए तैयार किया जाता है। सामरिक परमाणु हथियारों में हवाई बम, कम दूरी की मिसाइलों के लिए हथियार और तोपखाने के हथियार भी शामिल होते हैं। इन्हें सैन्य वाहनों से भी दागा जा सकता है। टैक्टिकल न्यूक्लियर वेपन उन रणनीतिक हथियारों की तुलना में कम शक्तिशाली होते हैं, जो पूरे शहर को नष्ट करने की क्षमता रखते हैं। ये बड़े पैमाने पर रेडियोधर्मी प्रभाव पैदा किए बिना दुश्मन के ठिकानों को नष्ट करने के लिए डिजाइन किए जाते हैं। सबसे छोटे सामरिक परमाणु हथियार एक किलोटन या उससे कम हो सकते हैं। सबसे बड़े 100 किलोटन तक हो सकते हैं। हिरोशिमा में जो परमाणु बम गिराया गया था वह 15 किलोटन (15 हजार टन टीएनटी) की क्षमता का था।

इन हथियारों के इस्तेमाल की क्यों पड़ रही है जरुरत

इन हथियारों को परमाणु हथियारों का आंशिक विकल्प भी आप कह सकते हैं। क्योंकि यह सिर्फ एक सटीक ठिकानों पर ही तबाही मचाते हैं। यह रेडियोधर्मी पदार्थ ज्यादा उत्सर्जित नहीं करते लेकिन ये दुश्मन के घर तबाही मचा सकता है। रूस ने इन हथियारों की तैनाती का कदम तब उठाया है जब कुछ दिन पहले ही पश्चिमी देशों ने यूक्रेन के साथ युद्ध को लेकर मॉस्को के खिलाफ बयानबाजी करने के साथ मदद का दायरा और भी बढ़ा दिया। ऐसे में रूसी रक्षा मंत्रालय ने कहा है कि यह अभ्यास ‘‘रूस के संबंध में कुछ पश्चिमी देशों के अधिकारियों के भड़काऊ बयानों और धमकियों’’ के जवाब में है। फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने हाल ही में कहा था वह यूक्रेन में सेना भेजने के विचार से इनकार नहीं कर रहे हैं। वहीं, ब्रिटेन के पूर्व विदेश मंत्री डेविड कैमरन ने कहा था कि कीव की सेना रूस के अंदर लक्ष्यों पर हमला करने के लिए ब्रिटेन के लंबी दूरी के हथियारों का उपयोग कर सकेगी।

लेखक – आयुष राज