पौराणिक शास्त्रों के अनुसार, शुक्ल पक्ष के अंतिम दिन को पूर्णिमा कहा जाता है। हर साल ऐसे कई महत्वपूर्ण दिन और रात आते हैं जिनका धरती और उसपर जीवन जी रहे जीव जन्तुओ पर इसका गहरा असर पड़ता है। सिर्फ पूर्णिमा का दिन ही महत्वपूर्ण नहीं है। चांद, पृथ्वी के लिए प्रतिएक दिन इतना ही जरूरी है जितना की हमारे लिए ऑक्सीजन। मगर क्या आपने कभी सोचा है कि चांद न हो तो क्या होगा?…. इसे पूरा समझने के लिए, देंखें वीडियो…..