राजस्थान: जातिगत जनगणना सियासी मुद्दा क्यों बन गया? क्या जातिगत जनगणना से विधानसभा और लोकसभा चुनाव में किसी पार्टी को नफा होगा? क्यों देश में जातिगत जनगणना पर सियासत होती है? क्या देश में या देश के किसी राज्य में जातिगत जनगणना सही तरीके से होती है?
देश में जातिगत जनगणना को लेकर सियासत गरमाई हुई है. बिहार सरकार के जातिगत जनगणना के आकड़ों ने पूरे देश में बहस छेड़ दी. इन आंकड़ों के सामने आने के बाद अब राजस्थान सरकार ने भी जातिगत जनगणना कराने का ऐलान किया. सूबे के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि बिहार की तर्ज पर राजस्थान में भी जातिगत जनगणना कराई जाएगी. कांग्रेस कोर कमेटी की जयपुर में हुई बैठक में यह प्रस्ताव पारित किया गया. इस बैठक में कांग्रेस नेता सचिन पायलट भी मौजूद थे.
गहलोत ने कहा कि आंकड़ों के आधार पर ही कई जातियों की भागीदारी तय की जाएगी. कांग्रेस के रायपुर अधिवेशन में जातिगत जनगणना का प्रस्ताव पारित हुआ था कि बिहार की तरह राजस्थान में भी जातिगत जनगणना कराएंगे. राहुल गांधी भी कह चुके हैं. उन्होंने कहा कि पार्टी की मंशा है कि इसे सामने लाएं. उन्होंने कहा कि बिहार के पैटर्न पर यह जातिगत गणना होगी. उन्होंने कहा कि जनगणना इसलिए जरूरी है कि सरकार योजना बनाने के समय सोशल सिक्योरिटी का ध्यान रख सके.
बिहार के बाद अब दूसरे राज्य भी जातिगत जनगणना कराने का ऐलान कर रहे हैं. इससे केंद्र की बीजेपी सरकार पर दवाब बन रहा है. बता दें कि INDIA गठबंधन ने पूरे देश में जातिगत जनगणना कराने की मांग की है और इसे लेकर सरकार पर गठबंधन हमला बोल रहा है.
लेखक: इमरान अंसारी