नई दिल्ली: भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ ने आज एक ऐतिहासिक पहल में राष्ट्रीय न्यायिक संग्रहालय और अभिलेखागार का उद्घाटन किया. इस अवसर पर न्यायपालिका के इतिहास और न्यायिक प्रणाली में किए गए योगदान का प्रदर्शन करने वाला यह संग्रहालय सुप्रीम कोर्ट के महत्व को सामने लाता है. इस अवसर पर विशेष रूप से न्यायपालिका और कानूनी क्षेत्र में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) की भूमिका पर भी चर्चा हुई, जहां एक एआई वकील ने अपनी जवाबदेही से CJI को प्रभावित किया.
AI वकील से सवाल- जवाब
उद्घाटन समारोह में मुख्य न्यायाधीश ने एक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस वकील से भारत में मृत्युदंड की संवैधानिकता के बारे में पूछा. इस पर एआई वकील ने तुरंत जवाब दिया कि “हां, भारत में मृत्युदंड संवैधानिक है और यह केवल दुर्लभतम मामलों में लागू होता है, जहां अपराध असाधारण रूप से जघन्य हो.” मुख्य न्यायाधीश ने एआई वकील के इस जवाब की सराहना की और इसके ज्ञान से प्रभावित दिखे.
क्या है न्यायिक संग्रहालय का महत्व?
इस संग्रहालय का उद्देश्य केवल कानून के पेशेवरों के लिए नहीं, बल्कि आम नागरिकों और युवाओं के लिए भी न्याय और संविधान के महत्व को समझने का एक साधन बनाना है. इस संग्रहालय में न्यायपालिका के ऐतिहासिक दस्तावेज, संविधान सभा के दुर्लभ फोटो और वह महत्वपूर्ण दस्तावेज शामिल हैं, जिन्होंने भारतीय संविधान के निर्माण में योगदान दिया है. CJI चंद्रचूड़ ने कहा कि संग्रहालय एक संवादात्मक स्थान बनेगा, जहां विद्यार्थी और नागरिक भारत की न्यायिक प्रणाली की अहमियत समझ सकें.
सीजेआई का संदेश?
मुख्य न्यायाधीश ने इस अवसर पर कहा कि संग्रहालय जजों और वकीलों की मेहनत और न्याय के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है. उन्होंने वकीलों और बार के सदस्यों से संग्रहालय का दौरा करने और इसके महत्व को सराहने का आग्रह किया. उन्होंने यह भी उम्मीद जताई कि उनके उत्तराधिकारी इस प्रयास को आगे बढ़ाते हुए इसे और अधिक सुलभ बनाएंगे, ताकि युवा पीढ़ी न्याय के वातावरण को महसूस कर सके.
होने वाले सीजेआई भी थे मौजूद
इस अवसर पर भारत के अगले मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना भी उपस्थित थे, जो जल्द ही चीफ जस्टिस के रूप में कार्यभार संभालेंगे. उनके साथ सुप्रीम कोर्ट के अन्य जज और न्यायिक क्षेत्र से जुड़े कई गणमान्य व्यक्ति भी समारोह में शामिल हुए.