इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने उत्तर प्रदेश के बेसिक शिक्षा विभाग में चल रही समायोजन प्रक्रिया को असंवैधानिक मानते हुए रद्द कर दिया है. कोर्ट ने समायोजन प्रक्रिया पर तुरंत रोक लगाने का आदेश दिया है और साथ ही इसमें मौजूद त्रुटियों को सुधारने का निर्देश भी दिया है. कोर्ट के इस फैसले का सीधा असर उत्तर प्रदेश के करीब 80% स्कूलों पर पड़ेगा, जिनकी समायोजन की प्रतीक्षा की जा रही थी.
“लास्ट कम, फर्स्ट आउट” नीति को बताया अनुचित
हाईकोर्ट ने इस समायोजन प्रक्रिया में लागू “लास्ट कम, फर्स्ट आउट” नियम को भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार) और अनुच्छेद 16 (समान अवसर का अधिकार) का उल्लंघन माना है. कोर्ट का कहना है कि यह प्रक्रिया नए शिक्षकों के साथ भेदभाव करती है और वरिष्ठ शिक्षकों को लाभ पहुंचाती है, जिससे जूनियर शिक्षक प्रभावित हो रहे हैं.
शिक्षकों को मिला बड़ा झटका
इलाहाबाद हाईकोर्ट के इस फैसले से प्रदेश के बेसिक शिक्षा विभाग के विद्यालयों में कार्यरत लाखों शिक्षकों को झटका लगा है. कोर्ट के इस आदेश के बाद समायोजन प्रक्रिया में देरी होगी, जिससे शिक्षा व्यवस्था पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा.
क्या है कोर्ट का आदेश?
हाईकोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया है कि बेसिक शिक्षा विभाग को समायोजन प्रक्रिया में सभी त्रुटियों को सुधारने के लिए आवश्यक कदम उठाने चाहिए, ताकि सभी शिक्षकों के लिए समानता और निष्पक्षता बनी रहे.