भारत को अस्थिर करना चाहता है अमेरिका, रूस ने अमेरिका पर लगाए गंभीर आरोप!

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नई दिल्ली/डेस्क: जियोपॉलिटिक्स के ये दो नियम हमेशा याद रखें। पहला, अमेरिका पर कभी भरोसा न करें। दूसरा, पहला नियम कभी न भूलें। दरअसल, भारत में चल रहे लोकसभा चुनावों के बीच रूस ने सनसनीखेज दावा किया है कि अमेरिका भारत के चुनावों में दखल देने की कोशिश कर रहा है और एक देश के तौर पर उसका सम्मान भी नहीं कर रहा है।

रूसी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मारिया ज़खारोवा ने आरोप लगाया कि अमेरिका भारत में आंतरिक राजनीतिक स्थिति को असंतुलित करने और चुनावों को जटिल बनाने की कोशिश कर रहा है, ताकि भारत को अस्थिर किया जा सके।

भारत का सच्चा दोस्त है रूस

अब आप सोचेंगे कि रूस और अमेरिका शुरू से ही कट्टर दुश्मन रहे हैं और रूस अब इतना शक्तिशाली नहीं रहा, इसलिए रूस कभी नहीं चाहेगा कि भारत और अमेरिका के बीच दोस्ती हो। देखिए, हर कोई जानता है कि अमेरिका और पश्चिम क्या कर रहे हैं। रूस को भारतीयों का दिल जीतने की कोई जरूरत नहीं है, क्योंकि उनकी सच्ची दोस्ती तो हम 1971 में ही देख चुके हैं।

सच्चे दोस्त मुश्किल समय में हमेशा आपके साथ खड़े रहते हैं। जबकि अमेरिका सिर्फ अपने हित के हिसाब से अपना रंग बदलता रहता है। ऐसा कोई सगा नहीं जिसे अमेरिका ने धोखा न दिया हो। इसलिए हमारा पुराना दोस्त रूस आपके दो नए दोस्तों से कहीं अधिक मूल्यवान है।

अमेरिका को लगाई फटकार

और देखिये, ऐसा नहीं है कि ये सब रूस ने जानबूझकर किया है। रूस ने ये बातें तब कहीं जब एक पत्रकार ने पूछा कि अमेरिका आए दिन भारत पर आरोप लगाता रहता है कि भारत अपने एजेंटों के जरिए पन्नू जैसे खालिस्तानी समर्थकों को खत्म कर रहा है। जिसके बाद रूस ने पन्नू मामले में अमेरिका को फटकार लगाते हुए भारत का समर्थन किया और कहा कि अगर ऐसा है तो अमेरिका ने अभी तक आरोपों पर एक भी सबूत क्यों नहीं पेश किया है।

ऐसे में सवाल ये भी उठता है कि आखिर अमेरिका छठे नंबर पर क्यों है? आपको जानकर हैरानी हो सकती है, लेकिन हमारे रॉ एजेंट खुलेआम कहते रहे हैं कि खालिस्तानी मुद्दे को पाकिस्तान के साथ-साथ अमेरिका ने भी बढ़ावा दिया था।

अमेरिका शुरू से ही हम भारतीयों को अपने वश में करना चाहता है और उसकी यह चाहत आज तक अधूरी है, न तो इंदिरा गांधी उनके सामने झुकीं और न ही मोदी जी ने झुकने से परहेज किया। ऐसे में अमेरिका भारतीय राजनीति में अपने मोहरे रखने को तैयार है ताकि जो अंग्रेजों ने किया, वो हमारे कुछ देशवासियों को खरीदकर कर सकें। लेकिन उनका ये सपना कभी पूरा नहीं होगा।